उदयपुर, 08 दिसंबर। उदयपुर शहर के हिरणमगरी उप नगरीय क्षेत्र के पास गर्ल्स हॉस्टल में शुक्रवार को एक लेपर्ड घुस गया। इससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। हॉस्टल में मौजूद आठ-दस छात्राओं ने बचने के लिए खुद को कमरे में बंद कर लिया। लेपर्ड ने हॉस्टल में खाना बनाने वाले व्यक्ति पर हमले का प्रयास किया, लेकिन शोर मचाने पर वह नीचे भाग गया। सूचना पर पुलिस और वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। करीब साढे़ तीन घंटे तलाश करने के बाद लेपर्ड सीढ़ियों पर दिखाई दिया, इसके बाद सीढ़ियों के नीचे घुस गया। टीम ने सवा पांच घंटे की मशक्कत के बाद शाम को उसे ट्रेंकुलाइज कर लिया। इस निजी हॉस्टल में करीब 50 छात्राएं रहती हैं। इनमें से अधिकांश छात्राएं कॉलेज गई थीं।
सेक्टर चार के मनवाखेड़ा क्षेत्र में संचालित परमार्थ गर्ल्स हॉस्टल के इंचार्ज रजत सक्सेना ने बताया कि वह हॉस्टल कैंपस में मौजूद थे, तभी खाना बनाने वाला राजू तीसरी मंजिल पर लेपर्ड-लेपर्ड शोर मचाने लगा। इसे सुनकर छात्राएं अपने-अपने कमरों में भागने लगीं। शोर मचाने से लेपर्ड भी नीचे की तरफ भाग गया। सीसीटीवी कैमरे में देखा तो लेपर्ड कैंपस में आते हुए दिख रहा था। इस पर पुलिस को सूचित किया। सूचना पर हिरणमगरी पुलिस और वन्यजीव विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। टीम ने मौका देखा। छात्राओं में लेपर्ड की दहशत थी। दोपहर में सीढ़ियों के पास लेपर्ड दिखाई दिया, इसके बाद सीढ़ियों के नीचे छिप गया। टीम ने सवा पांच घंटे की मशक्कत के बाद लेपर्ड को ट्रेंकुलाइज कर लिया। वन विभाग की टीम लेपर्ड को अपने साथ ले गई। डीएफओ अजय चित्तौड़ ने बताया कि लेपर्ड को एक बार डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद निर्णय किया जाएगा।
हॉस्टल इंचार्ज रजत सक्सेना ने बताया कि यहां करीब 50 छात्राएं रहती हैं, लेकिन जब यह घटना हुई तब अधिकांश छात्राएं कॉलेज गई हुई थीं। 8-10 छात्राएं हॉस्टल में थीं। हॉस्टल आबादी क्षेत्र में बना हुआ है। लेपर्ड की सूचना पर आसपास के मकानों और दुकानों से लोग पहुंच गए। बाद में पुलिसकर्मियों ने भीड़ को वहां से हटाया। हॉस्टल मालिक हरीश राजानी ने बताया कि स्टाफ का फोन आया था कि हॉस्टल में लेपर्ड आ गया है। तत्काल हॉस्टल पहुंचा। यहां सीसीटीवी देखा तो उसमें दिखा कि करीब साढ़े तीन से चार फीट का लेपर्ड बालकनी के पास खड़ा था। जो छात्राएं यहां थी, उन्हें उनके कमरे में और स्टाफ को स्टाफ रूम में सुरक्षित बंद कर दिया गया। जब यह कन्फर्म हो गया कि लेपर्ड हॉस्टल के अंदर वाली सीढ़ियों में है तो उसे रेस्क्यू करने के लिए पहले अंदर के सारे रास्ते बंद कर दिए गए। सबसे पहले तो दीवार में छेद किया लेकिन उससे सीधे गन प्वाइंट नहीं मिल रहा था और रेस्क्यू वहां से सफल होते नहीं दिखा तो बाद में तीसरी मंजिल पर जो गेट था वहां तक दूसरे रास्ते से टीम पहुंची। वहां गेट की प्लाई को काटकर छेद कर गन प्वांइट तैयार किया गया।
तैयार गन प्वाइंट पर लेपर्ड का मूवमेंट नहीं था। इस कारण बाजार से पटाखे मंगाए गए। टीम ने सीढ़ियों के पास पटाखे फोड़ने शुरू किए, शोर से लेपर्ड ने जैसे ही इधर-उधर भागना शुरू किया तो गन प्वाइंट से वन विभाग के शूटर ने उसे ट्रेंकुलाइज कर दिया। बाद में टीम बेहोश लेपर्ड को लेकर बाहर आई और अपनी सुरक्षा में उसे सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क लेकर गई।