
नई दिल्ली, 28 जून । भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ कर दी है। इस अभियान का उद्देश्य प्रत्येक मतदाता की पात्रता की पुष्टि करना है, ताकि चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाया जा सके। आयोग ने बताया कि यह कार्य संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुरूप हो रहा है, जो मतदान के लिए पात्रता की शर्तें निर्धारित करता है।
आयोग की ओर से शनिवार को जारी जानकारी में बताया गया कि बिहार के सभी 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में घर-घर जाकर गणना फॉर्म वितरित किए जा रहे हैं। इन फॉर्म को ऑनलाइन भरने की भी सुविधा दी गई है, जिससे प्रक्रिया को सरल और तकनीक-सक्षम बनाया गया है।
बिहार में वर्तमान में कुल 7,89,69,844 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से करीब 4.96 करोड़ निर्वाचकों के नाम पहले से ही 1 जनवरी 2003 की आधार तारीख पर नामावली में हैं। इन्हें बस अपने विवरण की पुष्टि करके फॉर्म भरना और जमा करना है। निर्वाचन आयोग ने इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए 77,895 बूथ लेवल अधिकारियों की तैनाती की है, जबकि नए मतदान केंद्रों के लिए 20,603 अतिरिक्त बीएलओ नियुक्त किए जा रहे हैं।
साथ ही, एक लाख से अधिक वॉलंटियर्स, विशेष रूप से वृद्ध, दिव्यांग, बीमार और अन्य कमजोर वर्गों की सहायता के लिए लगाए गए हैं। राजनीतिक दलों की भागीदारी भी उल्लेखनीय है। आयोग के अनुसार, मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों ने अब तक 1,54,977 बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए हैं और और अधिक एजेंटों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।
एसआईआर के तहत बिहार के 5.74 करोड़ पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर एसएमएस भेजे जा रहे हैं, जिससे मतदाताओं को समय रहते जानकारी दी जा सके। सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बीएलओ को पूर्णकालिक रूप से पुनरीक्षण कार्य में लगाएं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, एसआईआर से संबंधित सभी गतिविधियां निर्धारित समय-सीमा के अनुसार सुचारू रूप से चल रही हैं।