एक देश के आतंकवाद पर आपत्ति से नहीं हो पाया एससीओ में संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली, 27 जून । विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि आपातकाल में श्रीलंका के साथ किए गए एक समझौते की कीमत आज भी हमारे मछुआरों को चुकानी पड़ रही है। इस समझौते के कारण हमने मछली पकड़ने का हक खो दिया और इसी कारण श्रीलंका भारतीय मछुआरों को पकड़ लेता है।

जयशंकर ने कहा, “हम श्रीलंका द्वारा हमारे मछुआरों को गिरफ्तार किए जाने के बारे में सुनते हैं। इसका कारण यह है कि आपातकाल के दौरान एक समझौता किया गया था जिसके तहत श्रीलंका के कुछ समुद्री जल में मछली पकड़ने के मछुआरों के अधिकारों को त्याग दिया गया था।”

दिल्ली भाजपा युवा मोर्चा ने आज एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर मॉक पार्लियामेंट का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दीप प्रज्वलित कर इसकी शुरुआत की। मॉक पार्लियामेंट्र में विभिन्न कॉलेजों के युवा छात्रों ने भाग लिया।

जयशंकर ने चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि एसीओ का मकसद आतंक से लड़ना हैं। राजनाथ सिंह आउटकम डॉक्युमेंट में आतंकवाद का विषय चाहते थे। एक देश (पाकिस्तान) नहीं चाहता था कि आतंकवाद का जिक्र हो। इसी के चलते उन्होंने साइन करने से इनकार कर दिया। इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि इमरजेंसी के कई सालों बाद आज भी कांग्रेस से पूछा गया कि देश में जो इमरजेंसी लगी क्या उसके लिए आप रिग्रेट हैं तो उसमें से आज भी किसी को उसका कोई रिग्रेट नहीं है।

विदेश मंत्री ने कहा कि 1971 में जीतने के बाद सरकार की लोकप्रियता काफ़ी घट गई थी क्योंकि भ्रष्टाचार अपने चरम पर था और गुजरात में सरकार गिर गई थी। इसलिए सरकार ने नया तरीका निकाला कि कैसे सरकार के प्रति लोगों में डर पैदा की जाए इसलिए उन्होंने देश में इमरजेंसी लगा दी।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल के सिर्फ 21 महीनों में ही संविधान में पांच संशोधन और 48 ऑर्डिनेंसेस पास किए। आपातकाल कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था बल्कि हमारे जीवन के रहन-सहन पर ही अटैक था और यह सिर्फ एक परिवार के कारण हुआ। कुछ लोग संविधान की प्रति हाथ में लेकर घूमते हैं पर दिल की भावना कुछ और है, क्या कभी कांग्रेस ने आपातकाल के लिए माफी मांगी ?

उन्होंने बताया कि उस समये संविधान में किए गए तीन बदलाव बहुत महत्वपूर्ण थे। 38वां संशोधन के अनुसार आप इमरजेंसी लगाने के संबंध में कोर्ट नहीं जा सकते, 39वां संशोधन आपको प्रधानमंत्री के चुनाव पर कोर्ट जाने से रोक रहा था और 42वां संशोधन के अनुसार आपके मौलिक अधिकार को ही खत्म करके कोर्ट के पावर को कम करने वाला था। इमरजेंसी में संविधान की हत्या इस तरह से की गई कि अगर आपकी जान भी जाए तो कोर्ट आपको राहत नहीं दे सकता।

सम्बोधन से पूर्व, डॉ. जयशंकर और वीरेन्द्र सचदेवा ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर लगाए गए विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया। दिल्ली भाजयुमो अध्यक्ष सागर त्यागी ने स्वागत भाषण में कांग्रेस के आपातकाल को याद किया और कहा कि यह भारत के इतिहास में एक काला अध्याय है।