
– नाथुला दर्रे से तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना
गंगटोक, 20 जून । पांच वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद पवित्र कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा सिक्किम के रास्ते फिर से शुरू हो गई है। आज, शुक्रवार को सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने भारत-चीन सीमा पर स्थित नाथूला दर्रे से तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को विधिवत हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
नाथूला दर्रे से रवाना होने से पहले राज्यपाल ने तीर्थयात्रियों से बातचीत की और उनकी सफल यात्रा के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। राज्यपाल ने इस ऐतिहासिक मार्ग के पुनः चालू होने को अंतरराष्ट्रीय मैत्री और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं की पुनर्स्थापना का प्रतीक बताया, जो बौद्ध, हिंदू और जैन समुदायों की आस्था को प्रतिबिंबित करती हैं।
राज्यपाल ने इस यात्रा को पुनः प्रारम्भ करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सिक्किम मार्ग से तीर्थयात्रियों को भेजना राज्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा राज्य की पवित्र भूमि से होकर आगे बढ़ रही है, जो सिक्किम राज्य के लिए बहुत गौरव का क्षण है। उन्होंने सिक्किम सरकार, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और भारतीय सेना को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
यात्रियों के पहले जत्थे में 33 सदस्य शामिल हैं, जिनमें दो अनुरक्षक और एक डॉक्टर शामिल हैं। सिक्किम पहुंचने पर तीर्थयात्रियों ने चिकित्सा परीक्षण कराया तथा उच्च हिमालयी परिस्थितियों के अनुकूल के लिए दो-चरणीय प्रक्रिया पूरी की। पहले चरण में तीर्थयात्रियों को 18 मील तथा उसके बाद शेरेथांग में जलवायु अनुकूलन के लिए ठहराया गया है।
नाथुला दर्रे पर राज्यपाल माथुर ने हरी झंडी दिखाकर तीर्थयात्रियों को रवाना किया। इस अवसर पर सिक्किम विधानसभा की उपाध्यक्ष राजकुमारी थापा, मंत्री टीटी भोटिया, मंत्री पूरन गुरुंग और मंत्री एनबी दाहाल, विधायक पामिना लेप्चा, विधायक टीटी भोटिया और विधायक सुदेश कुमार लिम्बू, भारतीय सेना के अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।
चीनी प्राधिकारियों द्वारा सीमा पार तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए प्रबंध किए गए थे, जहां से वे कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करेंगे। इस यात्रा की पूरी व्यवस्था विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, सिक्किम पर्यटन विकास निगम और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा की जा रही है।———