कोलकाता, 18 जून । कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य में तीन वर्षों से बंद पड़े ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ यानी सौ दिन के काम की योजना को दोबारा शुरू करने का निर्देश दिया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम की बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि यह योजना राज्य में एक अगस्त 2025 से शुरू की जानी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि योजना में धन आवंटन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।

योजना की शुरुआत के साथ ही केंद्र और राज्य दोनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पहले की तरह कोई अनियमितता न हो। अदालत ने निर्देश दिया कि यह योजना राज्य के सभी पात्र नागरिकों तक पहुंचे और इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता बनी रहे।

उल्लेखनीय है कि बीते तीन वर्षों से योजना बंद थी। आरोप था कि इसके तहत बड़ी मात्रा में धनराशि के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आई थीं। इन्हीं आरोपों के चलते कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी जिसमें कहा गया था कि योजना को बंद करने के पीछे कारण स्पष्ट किया जाए और अदालत इसमें हस्तक्षेप करे।

मामला मुख्य न्यायाधीश की पीठ तक पहुंचा और कोर्ट ने केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय से विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी। इसके लिए 15 मई तक की समयसीमा तय की गई थी। जवाब में केंद्र की ओर से मार्च में एक रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराई गई जिसमें बताया गया कि अदालत द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति ने राज्य के चार जिलों—पूर्व बर्दवान, हुगली, मालदा और दार्जिलिंग (जीटीए क्षेत्र)—का निरीक्षण किया।

अदालत में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने बताया कि लगभग 5.37 करोड़ की अनियमितता सामने आई थी, जिसमें से 2.39 करोड़ की राशि की वसूली हो चुकी है।

इस आदेश पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। राज्य के मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार केंद्र की इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही थीं। अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में इस मुद्दे को लेकर दिल्ली तक आंदोलन किया गया।

अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से योजना को फिर से लागू किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।