
जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तीन दशकों से अधिक सैन्य सेवा का है अनुभव
नई दिल्ली, 09 जून । ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर चर्चा में आये डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को सेना के उप प्रमुख (रणनीति) पद पर पदोन्नत किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल घई सैन्य संचालन महानिदेशक का कार्यभार संभालते रहेंगे। उन्होंने जम्मू और कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तीन दशकों से अधिक विशिष्ट सैन्य सेवा की है, जिसमें परिचालन, कमान और स्टाफ असाइनमेंट शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में 33 वर्षों से अधिक समय तक विशेष सेवा देने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अक्टूबर, 2024 में भारतीय सेना के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) की जिम्मेदारी संभाली थी। उनका यह पद चर्चा में तब आया, जब उन्होंने पिछले माह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह एक महत्वपूर्ण पद है, जिसमें परिचालन, कमान और स्टाफ असाइनमेंट शामिल हैं, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में। यह पद भारत के सैन्य अभियानों और सीमा शांति रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक हैं, जिसके बाद उन्हें दिसंबर, 1989 में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था। अपने 33 साल के करियर के दौरान उन्होंने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात एक डिवीजन में कर्नल जनरल स्टाफ और सेना मुख्यालय में सैन्य संचालन निदेशालय में ब्रिगेडियर जैसे कुछ सबसे प्रतिष्ठित पदों पर काम किया है। उन्होंने पश्चिमी क्षेत्र में एक बटालियन, एक ब्रिगेड और उत्तरी सीमाओं पर एक डिवीजन की कमान संभाली है, जिससे उनके परिचालन अनुभव की झलक मिलती है।
डीजीएमओ के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले लेफ्टिनेंट जनरल घई चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी) थे, जो कश्मीर में ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना की इकाई है। उन्होंने क्षेत्र में शांति और स्थिरता के प्रयासों में कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प पर जोर दिया और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सेना, नागरिक प्रशासन और पूरे समाज के बीच घनिष्ठ समन्वय को प्रोत्साहित किया। डीजीएमओ के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल घई लड़ाकू अभियानों और आतंकवाद विरोधी अभियानों जैसे सैन्य अभियानों की योजना बनाने और उनकी कमान संभालने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल सशस्त्र बलों को किसी भी ऑपरेशन के लिए तैयार रखते हैं और सरकार की अन्य सेवाओं और मंत्रालयों के साथ गहन समन्वय करते हैं। वह पाकिस्तान के डीजीएमओ के साथ मुख्य सैन्य वार्ताकार भी हैं और सीमा पर तनाव से निपटने और उसे कम करने के लिए उनके पास सीधे संचार लाइनें हैं। लेफ्टिनेंट जनरल घई को उनकी अनुकरणीय सेवा के लिए कई शीर्ष सैन्य सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उन्हें ऑपरेशनल पदों पर उनके नेतृत्व और सेवा के लिए उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और सेना पदक से सम्मानित किया गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने ऑपरेशन सिंदूर की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह भारतीय सैन्य हमला था, जिसे 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर अंजाम दिया गया था। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके जैसे आतंकी ठिकानों पर हमला करने में ऑपरेशन की सफलता के बारे में बताया और दावा किया कि पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने सीमा पार से गोलाबारी और गुरुद्वारों जैसी नागरिक सुविधाओं पर हमलों के रूप में पाकिस्तान के संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन पर भी ध्यान केंद्रित किया।—————–