नई दिल्ली, 30 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर डॉ. गोपीनाथ रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति गुरुवार को रद्द कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने डॉ. रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं की समीक्षा के बाद यह फैसला सुनाया।
पीठ ने डॉ. रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति बरकरार रखने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि नियुक्ति केरल सरकार के अनुचित हस्तक्षेप के कारण गलत थी।
कन्नूर विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य प्रेमचंद्रन कीज़ोथ और अकादमिक परिषद के सदस्य शिनो पी जोस ने पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
पीठ की ओर से फैसला सुनाने वाले न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि इस अदालत ने चार सवालों पर विचार करने के बाद फैसला सुनाया गया। क्या कार्यकाल के पद पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है, क्या कन्नूर विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 10 (9) में निर्धारित अधिकतम आयु सीमा 60 चार साल के लिए पुनर्नियुक्ति के मामले में भी लागू होता है, क्या पुनर्नियुक्ति के लिए चयन समिति की स्थापना करके कुलपति की नियुक्ति के समान प्रक्रिया का पालन करना होगा और क्या कुलाधिपति ने पुनर्नियुक्ति की शक्ति पद छोड़ दिया या आत्मसमर्पण कर दिया?
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अनुचित हस्तक्षेप के कारण यह निर्णय गलत हो गया।
अदालत ने अपने फैसले में कहा, “हालांकि पुनर्नियुक्ति की अधिसूचना कुलाधिपति द्वारा जारी की गई थी, लेकिन राज्य सरकार के अनुचित हस्तक्षेप के कारण यह निर्णय रद्द हो गया।” पीठ ने केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा दिए गए फरवरी 2022 के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें कुलपति की पुनर्नियुक्ति को मंजूरी दी गई और दिसंबर 2021 की एकल पीठ के फैसले की पुष्टि की गई।
शीर्ष अदालत ने कहा कि कुलाधिपति (केरल के राज्यपाल) ने कुलपति को फिर से नियुक्त करने के लिए वैधानिक शक्तियों को “छोड़ दिया या आत्मसमर्पण” कर दिया।
शीर्ष अदालत ने पहले भी अपनी कई सुनवाइयों के दौरान कथित तौर पर सरकार से सवाल किया था कि 60 साल से ऊपर के व्यक्ति को कुलपति फिर से कैसे नियुक्त किया जा सकता है।
कन्नूर विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक 60 साल से ज्यादा उम्र वालों को कुलपति नियुक्त नहीं किया जा सकता। सरकार ने हालाँकि, शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि पुनर्नियुक्ति के लिए यह मानदंड लागू नहीं होगा। इस पर मुख्य न्यायाधीश डॉ चंद्रचूड़ ने फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए।