
कोलकाता, 12 मई ।
पश्चिम बंगाल में पिछले हफ्ते जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के तीन सक्रिय सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने राज्य के संवेदनशील इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है। खासतौर पर उन इलाकों में चौकसी बढ़ाई गई है, जहां पहले से आतंकी या कट्टरपंथी संगठनों के स्लीपर सेल सक्रिय रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिन जिलों की बांग्लादेश से अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है, वहां विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इसमें खासतौर पर अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों पर फोकस किया गया है। इसके अलावा बीरभूम, पूर्व बर्धमान और हुगली जैसे जिलों के कुछ अल्पसंख्यक बहुल इलाकों को भी इस निगरानी के दायरे में लाया गया है।
गिरफ्तार किए गए तीन जेएमबी कार्यकर्ताओं में से दो—आजमल हुसैन और साहेब अली खान—को शुक्रवार को बीरभूम जिले के नलहाटी से पकड़ा गया। दोनों इसी जिले के निवासी हैं। पूछताछ में इनसे मिली जानकारी के आधार पर तीसरे सदस्य अबासुद्दीन मोल्ला को शनिवार को दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत पाटरा गांव से गिरफ्तार किया गया।
पूर्व बर्धमान के खागड़ागढ़ में वर्ष 2014 में हुए विस्फोट के बाद से इस जिले के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों को भी खुफिया एजेंसियों ने संवेदनशील मानते हुए निगरानी में रखा है। उस समय पुलिस ने वहां से 55 देसी बम, आरडीएक्स, घड़ियों के डायल और सिम कार्ड बरामद किए थे। जांच में पता चला था कि इस विस्फोट के पीछे जेएमबी का हाथ था। इस मामले में 19 लोगों को सजा मिली थी, जिनमें चार बांग्लादेशी नागरिक थे।
हुगली जिले में भी हाल के वर्षों में कई आतंकी स्लीपर सेल के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई है, जिसके बाद वहां के कुछ खास इलाकों को भी सुरक्षा एजेंसियों ने विशेष निगरानी में रखा है।
इसी बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय को हाल ही में खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिली थी कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा और तोड़फोड़ में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की भूमिका हो सकती है। इस संदर्भ में जेएमबी के साथ-साथ हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जैसे बांग्लादेश-आधारित कट्टरपंथी संगठनों के नाम भी सामने आए थे।