
कोलकाता, 3 मई । जन्म प्रमाणपत्र में जालसाजी कर पासपोर्ट बनवाने की कोशिश एक बार फिर कोलकाता में बेनकाब हुई है। सुरक्षा नियंत्रण संगठन (एससीओ) की सतर्कता के चलते इस मामले में मोहम्मद आफताब आलम नामक युवक को गिरफ्तार किया गया है। आफताब को शुक्रवार देर शाम गिरफ्तार किया गया और शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
आफताब राजाबागान इलाके का निवासी है। पुलिस के मुताबिक उसने मालदा जिले के मानिकचक थाना अंतर्गत उत्तर चंडीपुर गांव से जन्म प्रमाणपत्र जारी कराया था। जब दस्तावेजों की जांच हुई तो एससीओ ने पाया कि प्रमाणपत्र पूरी तरह फर्जी है। इसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
इस बीच पासपोर्ट धोखाधड़ी मामले में पहले से गिरफ्तार आजाद मलिक को लेकर जांच एजेंसियों को कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2013 में आजाद मलिक पाकिस्तान से बांग्लादेश के रास्ते भारत आया था। यहां भारतीय पहचान पत्र बनवाने के लिए उसने लगभग 1 लाख रुपये खर्च किए। उसने पैन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी बनवाए। आजाद मलिक उर्फ आजाद हुसैन के लिए कई एजेंट और सब-एजेंट काम करते थे। जांच में सामने आया है कि अब तक कम से कम 100 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट बनवाने में उसने मदद की है। पासपोर्ट बनवाने के लिए वह ढाई लाख रुपये तक वसूलता था, जबकि वीजा के लिए एक से डेढ़ लाख रुपये तक की रकम ली जाती थी।
गोपनीय सूत्रों के मुताबिक, आजाद मलिक सिर्फ बांग्लादेशियों के लिए ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भी फर्जी पासपोर्ट बनवाता था। जांच एजेंसियों का कहना है कि उसका पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी सीधा संपर्क था। बिराटी से गिरफ्तारी के बाद ईडी ने जब जांच शुरू की तो पहले उसे बांग्लादेशी माना गया, लेकिन बाद में एक पाकिस्तानी ड्राइविंग लाइसेंस मिलने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि उसका असली नाम आजाद हुसैन है और वह पाकिस्तान का नागरिक है।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि आजाद मलिक के गिरोह ने करीब 200 लोगों के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाए हैं। पूछताछ में पता चला कि वह बांग्लादेश से चोर रास्तों के जरिए भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भी दस्तावेज बनवाता था। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कितने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए फर्जी पासपोर्ट बने और वे फिलहाल कहां हैं। माना जा रहा है कि इस पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी जा सकती है।