
कोलकाता, 23 अप्रैल। पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) में नियुक्ति घोटाले को लेकर आंदोलन कर रहे नौकरी से निकाले गए अभ्यर्थियों ने बुधवार को लगातार तीन दिनों तक घेर कर रखने के बाद एसएससी चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार को शर्तों के साथ रिहा कर दिया। चेयरमैन और अन्य अधिकारी सोमवार शाम से एसएससी दफ्तर में ही बंद थे। रिहाई के पीछे वजह यह बताई गई कि बुधवार को हाई कोर्ट में एक अहम सुनवाई है, जिसमें चेयरमैन को शारीरिक रूप से उपस्थित रहना आवश्यक है।
आंदोलनरत अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि चिन्मय मंडल ने कहा, “हमने पुलिस से चर्चा के बाद चेयरमैन को छोड़ा है। शिक्षा मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि रिव्यू पिटीशन से पहले कोई सूची नहीं देंगे। हम इस पर जवाब मांगेंगे। साथ ही, 22 लाख ओएमआर शीट्स की सार्वजनिकता की मांग पर हम अडिग हैं।”
एसएससी दफ्तर के सामने नौकरी से निकाले गए शिक्षक और शिक्षाकर्मी लगातार तीसरे दिन बुधवार को भी धरने पर बैठे रहे। आंदोलनकारियों ने मंगलवार को दावा किया कि विकास भवन की ओर से जो 13 हजार 206 अभ्यर्थियों की सूची दी गई है, उनमें 15 हजार 403 लोग योग्य हैं। इसके बावजूद वे इस सूची से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि अब तक ओएमआर शीट की ‘मिरर इमेज’ प्रकाशित नहीं की गई है।
‘वैध’ शिक्षकों की सूची को लेकर भ्रम और पत्राचार
मंगलवार को एसएससी अधिकारियों की शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के साथ बैठक हुई, जिसके बाद आयोग ने जानकारी दी कि ‘वैध’ शिक्षकों की सूची बुधवार तक शिक्षा विभाग को सौंप दी जाएगी। यह सूची तीन चरणों में भेजी जाएगी। एसएससी के अनुसार, केवल वही नाम भेजे जाएंगे जिनकी परीक्षाओं या दस्तावेजों में कोई खामी नहीं है।
उधर, स्कूल शिक्षा आयुक्त ने जिला निरीक्षकों (डीआई) को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि योग्य शिक्षकों की सूची वे जारी करें। सुप्रीम कोर्ट के 13 अप्रैल के आदेश के अनुसार, 2016 की भर्ती प्रक्रिया में योग्य ठहराए गए अभ्यर्थी 31 दिसंबर तक शिक्षक पद पर रह सकते हैं। जिन पर कोई आपत्ति नहीं है, उन्हें वेतन देने का भी निर्देश दिया गया है।
हालांकि चेयरमैन को छोड़ा गया है, लेकिन प्रदर्शनकारी स्पष्ट कर चुके हैं कि जब तक स्थायी समाधान नहीं मिलेगा, वे सड़क पर ही रहेंगे। उनका कहना है कि ‘वैध’ शिक्षकों की सूची आने के बावजूद वे स्कूल नहीं जाएंगे और जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।