कोलकाता, 20 अप्रैल। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद भय और दहशत के साए में जी रहीं महिलाओं के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) किसी रक्षक से कम साबित नहीं हुई। यह दावा राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजय राहाटकर ने रविवार को किया।

महिला आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर पहुंचीं विजय राहाटकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुर्शिदाबाद के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों की महिलाएं खुद बीएसएफ को अपना रक्षक बता रही हैं। उन्होंने कहा कि जहां-जहां हम पहुंचे, वहां महिलाओं की आंखों में डर और दर्द साफ झलक रहा था। वे कांप रही थीं। उन्होंने कहा कि अगर बीएसएफ नहीं पहुंचती, तो शायद वे जिंदा नहीं बच पातीं।

उल्लेखनीय है कि मुर्शिदाबाद के कुछ इलाकों में आठ अप्रैल को हिंसा भड़क उठी थी। हालात बिगड़ने के बाद 12 अप्रैल को कलकत्ता हाई कोर्ट की विशेष खंडपीठ के आदेश पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की गई। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अगर समय रहते केंद्रीय बलों की तैनाती की गई होती, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती।

विजय राहाटकर ने बताया कि प्रभावित इलाकों की महिलाओं की सबसे बड़ी मांग यह है कि वहां स्थायी रूप से बीएसएफ शिविर स्थापित किए जाएं, ताकि वे सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आयोग इस मांग को गृह मंत्रालय के समक्ष रखेगा।

महिला आयोग जल्द ही अपनी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा, जिसमें हिंसा और उससे प्रभावित महिलाओं की स्थिति की विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

इधर, तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने एनसीडब्ल्यू और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के मुर्शिदाबाद दौरे को राजनीतिक करार देते हुए आरोप लगाया कि ये दोनों आयोग भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहे हैं।