नई दिल्ली, 14 अप्रैल । भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय ने आज क्वांटम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी अनुबंध रणनीति का पहला संस्करण जारी किया। रिपोर्ट का आधिकारिक तौर पर अनावरण पीएसए प्रो. अजय कुमार सूद ने विश्व क्वांटम दिवस 2025 के अवसर पर पीएसए कार्यालय के पॉडकास्ट के दौरान किया, जो हर साल 14 अप्रैल को मनाया जाता है। चूंकि साल 2025 संयुक्त राष्ट्र और सदस्य देशों द्वारा नामित क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (आईवाईक्यूएसटी) का अंतरराष्ट्रीय वर्ष है, इसलिए यह रिपोर्ट विशेष महत्व रखती है।

प्रो. सूद ने ‘क्वांटम प्रौद्योगिकी’ के क्षेत्र में स्वदेशी कंपनियों की अनुपस्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि आयात पर बहुत अधिक निर्भरता तेजी से उभरते क्षेत्र के नवजात घरेलू परिवेशी तंत्र में व्यवधान पैदा कर सकती है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कोई भी देश पीछे नहीं रहना चाहता, क्योंकि यह रणनीतिक स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण है और क्वांटम सुरक्षित हुए बिना रणनीतिक स्वायत्तता नहीं हो सकती। भारत के लिए इस क्षेत्र में कमियों और संभावनाओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत को क्वांटम हार्डवेयर में निवेश करना होगा, हमें आयात पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी और क्वांटम कंप्यूटिंग के सभी क्षेत्रों में प्रगति इसमें मदद कर सकती है। हमें स्टार्टअप के लिए बहुत अधिक फंड लाने और निवेश को जोखिम मुक्त करने की आवश्यकता है, यानी हमें उत्पादों के लिए बाजार बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हमें क्वांटम तकनीक के लिए वैश्विक मानकों को परिभाषित करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। यह एक ऐसा अंतर है, जिसे हमें पाटना होगा। एक बार जब हम इसे हासिल कर लेंगे, तो हम मानकीकरण प्रयासों में भी भूमिका निभाएंगे, जो रणनीतिक स्वायत्तता की ओर ले जाता है। हमें इसे बहुत सक्रियता से करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि हमारे पास ये वैश्विक मानक हों, क्योंकि हमारा बाजार केवल भारतीय बाजार ही नहीं बल्कि वैश्विक बाजार है। उन्होंने हब-एंड-स्पोक मॉडल की प्रमुख विशेषताओं के बारे में भी बताया, जिसे राष्ट्रीय क्वांटम मिशन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा रहा है। इसमें 17 राज्यों और 2 केन्‍द्रशासित प्रदेशों के 43 संस्थानों के 152 शोधकर्ता शामिल हैं।