कोलकाता, 18 मार्च । स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) द्वारा ग्लोबल मार्केट यूनिट (जीएमयू) कोलकाता से मुंबई स्थानांतरित करने की योजना  का  विरोध तेज हो गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ जनमत तैयार करने वाले संगठन ‘बैंक बचाओ, देश बचाओ मंच’ ने इस कदम पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की अपील की है। मंच का कहना है कि इस फैसले से पश्चिम बंगाल की वित्तीय व्यवस्था कमजोर होगी और बड़ी संख्या में नौकरियों पर असर पड़ेगा।

मंच के संयुक्त संयोजक विस्वरंजन राय और सौम्य दत्ता ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में एसबीआई की इस योजना का विरोध किया है, जिसमें बैंक की विदेशी मुद्रा संचालन से जुड़ी कई अहम इकाइयों—सेंट्रलाइज्ड ग्लोबल बैक ऑफिस (सीजीबीओ), फॉरेक्स ट्रेजरी, डेरिवेटिव्स और स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स डिवीजन—को मुंबई स्थानांतरित करने की बात कही गई है। मंच के मुताबिक जीएमयू, जिसे पहले एसबीआई के विदेशी विभाग के रूप में जाना जाता था, वह कोलकाता में अपने स्थापना काल से कार्यरत है। यह सिडनी, बहरीन, हांगकांग, लंदन और न्यूयॉर्क जैसे वैश्विक वित्तीय केंद्रों के साथ वित्तीय लेन-देन की जिम्मेदारी संभालता है। मंच ने इस फैसले को वित्तीय केंद्रीकरण और क्षेत्रीय आर्थिक स्थिरता के खिलाफ बताया है।

मंच ने दावा किया कि 2008 में एसबीआई के विदेशी मुद्रा संचालन को स्थानांतरित करने का प्रयास कर्मचारी विरोध के कारण विफल हो गया था। तब बातचीत के बाद एसबीआई ने इस इकाई को कोलकाता में ही बनाए रखने पर सहमति जताई थी। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि इससे पहले यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और इलाहाबाद बैंक के विलय, एसबीआई के केंद्रीय लेखा कार्यालय कोलकाता से हटाने और बैंक के पंजीकृत कार्यालय को मुंबई स्थानांतरित करने जैसे कदम पहले ही राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर चुके हैं।

मंच ने दावा किया कि यदि जीएमयू को मुंबई स्थानांतरित किया जाता है, तो इससे पश्चिम बंगाल में माल और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में भी गिरावट आएगी। वर्तमान में कोलकाता स्थित यह इकाई हर साल लगभग 25 करोड़ रुपये का जीएसटी उत्पन्न करती है, जिसमें से नौ प्रतिशत राशि राज्य सरकार को मिलती है। इसके अलावा, बैंक के इंटरनेशनल रिलेशनशिप सेंटर (आईआरसी) से लगभग 40 करोड़ रुपये का राजस्व आता है। साथ ही करीब 70 अनुबंध कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आ जाएगा।