लखनऊ, 15 मार्च । बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने शनिवार को बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि ‘बहुजन समाज’ को अपार गरीबी, बेरोजगारी, शोषण, अत्याचार, पिछड़ेपन, जातिवाद, सांप्रदायिक हिंसा व तनाव से मुक्ति के लिए अपने कीमती वोट की ताकत को समझकर अपना उद्धार स्वयं करने योग्य बनने के लिए सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करना जरूरी है। यही आज के दिन का उच्च संदेश है। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मायावती ने खुद को आयरन लेडी बताया और कहा कि वैसे भी विशाल आबादी को अनुभव है कि बसपा शासन काल में उनके नेतृत्व में कथनी और करनी में समानता रही है। अपने शासनकाल में बहुजनों के काफी कुछ अच्छे दिन लाकर दिखाए हैं। जबकि दूसरी पार्टियों व सरकारों ने हवा-हवाई बातें, लुभावनी घोषणाएं एवं अच्छे दिन आदि के हसीन सपनों से बरगलाया। उनके चक्रव्यूह में फंसकर लोग त्रस्त हैं।

उन्होंने कहा कि जनगणना नहीं कराने पर संसदीय समिति ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है। जनगणना से जनकल्याण है, जिसकी गारंटी बाबा साहेब डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान में राष्ट्रीय जनगणना सुनिश्चित की है। इसका लगतार लम्बित पड़ा रहना सरकार का गुड गवर्नेंस कतई नहीं है। सेंसस का काम सीधे तौर पर देश निर्माण से जुड़ा होने के कारण इस दायित्व के प्रति सरकार को समय पर अनवरत चुनाव की तरह ही विशेष सतर्क रहना जरूरी है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि रोजी-रोजगार के जबरदस्त अभाव में लोगों के खाली हाथ व खाली दिमाग देशहित को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं। इसलिए कांशीराम हर हाथ को काम देने की नीति के पक्षधर थे। बसपा सरकार में हर समाज के लोगों का काफी हद तक उद्धार करके भी दिखाया गया है। जबकि दूसरों की सरकार में सिर्फ हवा-हवाई बातें हाेती रहीं। इस वजह से उत्तर प्रदेश और देश की जनता का जीवन लगातार बदहाल व त्रस्त है।