कोलकाता, 1 मार्च । पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 के प्रचार में सीपीआई(एम) इस बार अपने जमीनी नेताओं को आगे रखने जा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, मुख्यधारा और सोशल मीडिया में चर्चित चेहरों की बजाय वे नेता प्रचार की कमान संभालेंगे, जो अलग-अलग क्षेत्रों में जन आंदोलनों का नेतृत्व करते रहे हैं।

इस बदलाव की पहली झलक 20 अप्रैल को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में होने वाली सीपीआई(एम) की विशाल रैली में दिखाई देगी। इस रैली में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम के अलावा कोई बड़ा या चर्चित चेहरा मुख्य वक्ताओं की सूची में शामिल नहीं होगा।

मंच पर सलीम के अलावा मुख्य रूप से वे जमीनी नेता होंगे, जो किसान संगठनों, बंटाईदारों के संघ, श्रमिक संघों और झुग्गी बस्तियों से जुड़े आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं।

पार्टी के एक वरिष्ठ केंद्रीय समिति सदस्य के अनुसार, हाल ही में पार्टी की चुनावी रणनीति पर तैयार एक आंतरिक दस्तावेज में यह निष्कर्ष निकाला गया कि पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में पार्टी की मजबूती के लिए बड़े पैमाने पर जन संघर्षों और आंदोलनों की जरूरत है।

केंद्रीय समिति के एक सदस्य ने कहा, “दस्तावेज़ में ग्रामीण और शहरी गरीबों के बीच काम करने और उन्हें संगठित करने पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है। इसी के तहत राज्य इकाई ने प्रचार अभियान में जमीनी आंदोलनों के चेहरों को आगे रखने का फैसला किया है, जिसकी शुरुआत अप्रैल में ब्रिगेड रैली से होगी।”

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस बदलाव का एक और कारण हाल के वर्षों में पार्टी की रैलियों में भारी भीड़ का जुटना तो है, लेकिन उसका मतदान मशीनों में असर न दिखना है।

नेता ने कहा, “ये भीड़ स्थानीय जमीनी नेताओं के नेटवर्क के कारण जुटती हैं। लेकिन संभवतः ये लोग मंच पर केवल बड़े नेताओं को देखकर खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। इसलिए प्रचार अभियान के मुख्य चेहरे वे होंगे, जिन्होंने इन लोगों को संगठित किया है।”