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दार्जिलिंग, 1 मार्च । चाय बागानों की 30 प्रतिशत भूमि पर्यटन और संबद्ध उद्योगों के लिए आवंटित करने की सरकार की योजना का विरोध शुरू हो गया है। गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) प्रमुख अनित थापा ने ममता बनर्जी की घोषणा पर कड़ी आपत्ति जताई है। अनित ने स्पष्ट किया कि पर्यटन के नाम पर चाय उत्पादन में व्यवधान पहाड़वासी स्वीकार नहीं करेंगे। वह चाय बागान की जमीन पर कोई भी पर्यटन उद्योग नहीं लगने देंगे।
इस बीच वकील और दार्जिलिंग डुआर्स टी वर्कर्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन की अध्यक्ष वंदना राई ने इसी मुद्दे पर शनिवार से पहाड़ में आंदोलन शुरू किया है। राई ने मुख्यमंत्री से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की है।
हाल ही में कोलकाता में विश्व बंगाल व्यापार सम्मेलन के मंच पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि चाय बागान की 30 प्रतिशत भूमि का उपयोग पर्यटन उद्योग के लिए किया जाएगा। इस घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में आवाज उठने लगे। दार्जिलिंग डुआर्स टी वर्कर्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन ने पहाड़ में आंदोलन शुरू किया है। एसोसिएशन की अध्यक्ष वंदना राई मुख्यमंत्री की घोषणा को वापस लेने की मांग को लेकर शनिवार को दार्जिलिंग चौरास्ता पर धरने पर बैठ गई है। वंदना राई ने प्रशासन की अनुमति के बिना दार्जिलिंग चौरास्ता पर धरना शुरू किया है। रविवार तक यह धरना कार्यक्रम जारी रहेगा।
इस दिन वंदना राई ने कहा कि अगर पहाड़-डुवार्स चाय बागान की जमीन का इस्तेमाल पर्यटन के लिए किया जाएगा तो पहाड़ों की सुंदरता और हरियाली नष्ट हो जाएगी। चाय का उत्पादन घट जाएग। ऐसा किसी भी तरह से नहीं होने दिया जा सकता है। राज्य सरकार को इस योजना को किसी भी कीमत पर रोकना होगा। इस प्रयास के जरिए ममता बनर्जी की सरकार चाय श्रमिकों के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है। मैं इसका पुरजोर विरोध करती हूं। ममता बनर्जी को तुरंत इस फैसले को वापस लेना होगा।