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नई दिल्ली, 25 फ़रवरी । विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा है कि मानवाधिकार की सही मायनों में रक्षा के लिए वर्तमान वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था में तत्काल सुधार की आवश्यकता को टाला नहीं जाना चाहिए। वे आज जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसी) के 58वें सत्र को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप बहुपक्षवाद की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। पिछले कुछ वर्षों ने मौजूदा बहुपक्षीय संरचनाओं की कमियां उजागर की हैं। सबसे ज्यादा जरूरत के समय में यह बहुपक्षवादी व्यवस्था अनुपस्थित रही। अगर हमें सही मायनों में मानवाधिकार को सुरक्षित रखना और बढ़ावा देना है तो हमें शीघ्र तत्काल सुधार को अनदेखा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इस तरह के बदलाव के लिए मदद करने और उसका नेतृत्व करने के प्रयासों में हमेशा तैयार है।
विदेश मंत्री ने सभी के लिए मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम केवल कहता भर नहीं है बल्कि हम उसके साथ जीते हैं। आज के समय में इस परिप्रेक्ष्य की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। आज के समय में दुनिया को एकजुट होने की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने अपने भाषण के दौरान आतंकवाद का भी उल्लेख किया और कहा कि इसका मुकाबला करने में कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। भारत हमेशा से आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की मांग करता रहा है और इसे सामान्य नजरिये से देखे जाने का विरोध करता रहा है।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता वैश्विक एकता, खुलेपन और पारस्परिक सम्मान के अपने स्थायी दर्शन में गहराई से निहित है। ये मूल्य हमारे संवैधानिक ढांचे की नींव बनाते हैं, जो न्याय, स्वतंत्रता और समानता के आदर्शों को बनाए रखते हुए मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है।