कोलकाता, 16 नवंबर। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिरासत में हुयी मौत के मामले पर गुरुवार को जनहित याचिका पर सुनवाई की।
अदालत के सूत्रों ने बताया कि चोरी का सेकेंड हैंड सेल फोन खरीदने की शिकायत के बाद पेश होने के लिए बुलाए जाने के बाद आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद पीड़ित के परिजनों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी निष्पक्ष एजेंसी को सौंपने की मांग की।
मृतक की पहचान मध्य कोलकाता के एमहर्स्ट स्ट्रीट पुलिस थाना क्षेत्र में एक पान की दुकान के मालिक अशोक शॉ (42) के रूप में हुई थी। उसकी मौत पुलिस हिरासत में हुयी थी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बुधवार को जब वह समन का जवाब देने पुलिस थाने पहुंचा, तो पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।
सूत्रों ने बताया कि पीड़ित के परिवार ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और हिरासत में हुई मौत की जांच सीबीआई जैसी निष्पक्ष एजेंसी को सौंपने की मांग की। पीड़ित परिवार की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने आरोप लगाया कि हिरासत में मारपीट की वजह से मौत हुई है।
मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ को बताया गया कि युवक को पूछताछ के लिए बुलाए जाने के कुछ घंटों के भीतर उसके परिवार को सूचित किया गया कि थाने में उसकी मृत्यु हो गई है।
जनहित याचिका में कहा गया, “शव पुलिस के पास है। परिवार ने पुलिस द्वारा यातना का दावा किया है। वे सीसीटीवी देखना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने इनकार कर दिया। परिवार का कहना है कि पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के तहत किया जाए।”
सूत्रों ने कहा कि वकील द्वारा किए गए दावों को सुनने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री के समक्ष एक औपचारिक याचिका दायर करने का निर्देश दिया, ताकि पीठ उस पर शुक्रवार को सुनवाई कर सके।