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लखनऊ, 11 फरवरी । गाजियाबाद के साहिबाबाद में श्रीराम कथा के आयोजन के दौरान कथावाचक के नहीं पहुंच पाने पर उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुनील कुमार शर्मा ने स्वयं व्यासपीठ सम्भाल ली। उन्होंने श्रोताओं को तीन घंटे से अधिक समय तक प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर श्रीराम कथा सुनाई।
श्री श्याम रसोई साहिबाबाद ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा में मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि रामराज्य केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि सर्वोत्तम शासन व्यवस्था का प्रतीक है। श्रीराम ने धर्म, न्याय, सेवा और सदाचार के आधार पर एक ऐसे राज्य की स्थापना की, जहां सभी वर्गों को समान अधिकार प्राप्त थे। श्रीराम केवल एक राजा ही नहीं, बल्कि एक श्रेष्ठ पुत्र, आदर्श भाई, उत्तम पति और सच्चे मित्र भी थे। पितृ आज्ञा के पालन में राजसुख छोड़कर वनगमन, सीताजी के प्रति एकनिष्ठ प्रेम, भरत और लक्ष्मण के प्रति असीम स्नेह और हनुमान जी एवं सुग्रीव जैसे मित्रों के प्रति समर्पण किया।
सुनील कुमार शर्मा ने श्रीराम कथा में कहा कि श्रीराम ने यह संदेश दिया कि राजधर्म और व्यक्तिगत धर्म में संतुलन बनाकर ही एक सशक्त समाज की स्थापना की जा सकती है। वर्तमान समय में भी हमें श्रीराम के आदर्शों को अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में अपनाने की आवश्यकता है। श्रीराम कथा के महत्वपूर्ण प्रसंग को सुनाते हुए मंत्री ने कहा कि लंका विजय केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष का प्रतीक था। यह दिखाता है कि जब अधर्म अपने चरम पर होता है, तब धर्म की विजय अवश्यंभावी होती है।
इस संबंध में राज्य के मंत्री सुनील शर्मा ने अपने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि एक बड़े कथा वाचक ने जब आखिरी मौके पर आने से मना कर दिया तो आज पं. गोपाल शर्मा श्याम रसोई वालों के निरंतर आग्रह और श्याम रसोई के मान सम्मान में श्री राम चर्चा में मुख्य वक्ता रहा।
पंडित गोपाल शर्मा सिर्फ एक रुपए में तीन साल से साहिबाबाद में भोजन कराते आ रहें हैं। इस पुनीत कार्य में उनकी मदद कर एक असीम सुख की अनुभूति हुई। मंत्री शर्मा ने लिखा,
वैसे भी राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम!
प्रवचन को सुनकर वहां उपस्थित श्रद्धालु, विशेषकर महिलाएं अत्यंत प्रसन्न हुईं। श्याम रसोई के संचालकों ने मंत्री सुनील कुमार शर्मा का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी इस सहभागिता ने इस कार्यक्रम को और भी भव्य बना दिया है। स्थानीय लोग भी इस पहल की सराहना कर रहे हैं और इसे एक अभूतपूर्व धार्मिक सेवा मान रहे हैं।