कोलकाता, 04 फरवरी । कोलकाता स्थित सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय फोर्ट विलियम का नाम बदलकर विजय दुर्ग कर दिया गया है। रक्षा मंत्रालय, कोलकाता के प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी विंग कमांडर हिमांशु तिवारी ने इसकी पुष्टि की।

उन्होंने बताया कि फोर्ट विलियम के भीतर स्थित कुछ अन्य ऐतिहासिक संरचनाओं के नाम भी बदले गए हैं।

विंग कमांडर तिवारी ने कहा कि फोर्ट विलियम के अंदर स्थित किचनर हाउस का नाम बदलकर मानेकशॉ हाउस कर दिया गया है, जबकि साउथ गेट, जिसे पहले सेंट जॉर्ज गेट कहा जाता था, अब शिवाजी गेट के नाम से जाना जाएगा।

पूर्वी कमान के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वर्तमान फोर्ट विलियम लगभग 177 एकड़ में फैला हुआ है और यह 1757 में सिराज-उद-दौला की सेना द्वारा नष्ट किए गए मूल किले का स्थान लेता है। ब्रिटिश शासन ने 1758 में इस नए किले का निर्माण शुरू किया और इसका पहला चरण 1781 में पूरा हुआ।

उन्होंने बताया कि पुराने किले की हार से सबक लेते हुए, अंग्रेजों ने इस नए किले को और मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ बनाया। इसे आठ दरवाजों के साथ अष्टकोणीय आकार में डिजाइन किया गया था, जिसमें चारों ओर खाई (मोट) बनाई गई थी। इनमें से तीन दरवाजे हुगली नदी की ओर थे, जबकि अन्य खुले मैदान की ओर थे, जिसे उस समय ग्लेसिस कहा जाता था और आज इसे कोलकाता मैदान के नाम से जाना जाता है।

उन्होंने आगे बताया कि किले की दीवारों पर 497 तोपें तैनात थीं, लेकिन कभी किसी दुश्मन पर इन्हें दागने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि इस किले पर कभी हमला नहीं हुआ।

नाम बदलने के पीछे ऐतिहासिक संदर्भ

किचनर हाउस, जो अब मानेकशॉ हाउस बन चुका है, 1771 में फोर्ट असॉल्ट कंपनी के ब्लॉकहाउस के रूप में बनाया गया था। बाद में 1784 में इसे ब्रिटिश भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ के निवास में बदल दिया गया। इसका नाम ब्रिटिश फील्ड मार्शल होराशियो हर्बर्ट किचनर के नाम पर रखा गया था, जो 1902 से 1910 तक यहां रहे थे।

अब इसका नाम फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाज़ी ने 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था। दिलचस्प बात यह है कि नियाज़ी को सबसे पहले किचनर हाउस में कैद किया गया था।

वहीं, सेंट जॉर्ज गेट को शिवाजी गेट नाम देने के पीछे भी ऐतिहासिक संदर्भ जुड़ा है। विजय दुर्ग महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग तट का सबसे पुराना किला है, जिसे मराठा शासक छत्रपति शिवाजी ने अपने नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया था। इसलिए, इस किले को भी विजय दुर्ग नाम देना ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।