गरियाबंद, 21 जनवरी । छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर स्थित भालू डिग्गी के जंगल में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में बड़ी कामयाबी मिलने की संभावना जताई जा रही है। इस मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपती सहित 16 के मारे जाने की रायपुर संभाग के आईजी ने पुष्टि की है। इन सभी 16 नक्सलियाें के शव और हथियार बरामद किए जा चुके हैं। इस मुठभेड़ में अब तक 20 से अधिक नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। इसमें एक जवान भी घायल हुआ है, जिसे एयरलिफ्ट कर रायपुर लाया गया है।

रविवार की रात से शुरू हुई मुठभेड़ में मंगलवार सुबह तक 16 नक्सलियों को मारे जाने की पुष्टि हुई है। मुठभेड़ अभी खत्म नहीं हुई है। इसमें लगभग 1000 जवानों ने करीब 60 नक्सलियों को घेर रखा है। इसके लिए बैकअप पार्टी भी भेजी गई है और ड्रोन से नजर रखी जा रही है। इससे पहले सुरक्षाबलाें ने 15-20 किमी के इलाके काे घेरा था, अब नक्सली सिमट कर 3 किमी के इलाके में आ गए हैं। गरियाबंद एसपी निखिल राखेचा, ओडिशा के नुआपाड़ा एसपी राघवेंद्र गूंडाला, ओडिशा डीआईजी नक्सल ऑपरेशन अखिलेश्वर सिंह और कोबरा कमांडेंट डीएस कथैत ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

रायपुर संभाग आईजी अमरेश मिश्रा ने 16 नक्सलियाें के शव और हथियार बरामद हाेने की पुष्टि करते हुए बताया कि इस मुठभेड़ में एके 47, एसएलआर, इंसास जैसे अन्य ऑटोमेटिक हथियार बरामद किए गए हैं। फिलहाल, सर्च अभियान जारी है। उन्हाेंने बताया कि इस मुठभेड़ में मिले अत्यधुनिक हथियारों से साबित है कि इसमें कई बड़े कैडर के इनामी नक्सली मारे गये हैं।

नक्सलियाें की भालू डिग्गी के जंगल में सूचना पर छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस की ओर से संयुक्त अभियान चलाया गया। इसमें 10 टीमें एक साथ निकली थीं। 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 सीआरपीएफ का बल इस अभियान में शामिल हैं। इसी दाैरान नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया। सुरक्षाबलाें की जवाबी कार्यवाही में बड़ी संख्या में नक्सली मारे गये हैं। सुरक्षा के लिहाज से भाटीगढ़ स्टेडियम को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए थे।

उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकाें में अब तक हुए बड़े नक्सली मुठभेड़ाें में ड्रोन का उपयाेग मुठभेड़ के समय नहीं किया जा गया, क्योंकि जंगल इतने ज्यादा हैं कि कुछ भी दिखना संभव नहीं हो पाता। ड्रोन कैमरे से देखकर नक्सलियों को मारने का प्रयोग गरियाबंद जिले के छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर स्थित भालू डिग्गी के जंगल में पहली बार किया गया है। जिन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, वे सेंट्रल कमेटी के बड़े कैडर के बताए जा रहे हैं। गरियाबंद में अब तक डीवीसीएम (डिविजनल कमेटी मेंबर), एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर) ही मूवमेंट करते थे लेकिन इस तरफ पहली बार टॉप लीडरों की मौजूदगी दिखी है। इसका कारण हो सकता है कि बस्तर में अबूझमाड़ तक फोर्स के कैंप बन चुके हैं। अबूझमाड़ और पामेड़ ही नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था, लेकिन लगातार जारी मुठभेड़ाें में बड़ी संख्या में बड़े कैडर के नक्सलियाें के मारे जाने से नक्सलियों के गरियाबंद की तरफ भागने की बात सामने आ रही है। बस्तर के बाद गरियाबंद का मैनपुर इलाका ओडिशा से लगा हुआ है। दोनों राज्यों में आने जाने के लिए जंगल का रास्ता अधिक आसान हाेने के साथ ही यहां छिपने के लिए भी ठिकाने हैं। नक्सली धमतरी के सिहावा, कांकेर, कोंडागांव होते हुए यहां से भी ओडिशा भाग सकते हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एक्स पर पोस्ट साझा कर लिखा कि गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना अंतर्गत कुल्हाड़ीघाट क्षेत्र में सुरक्षाबलों की नक्सलियों के साथ रविवार रात से अब तक जारी मुठभेड़ में 16 से अधिक नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। मार्च 2026 तक देश-प्रदेश में नक्सलवाद के खात्मे के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प को मजबूती प्रदान करते हुए सुरक्षाबल के जवान निरंतर सफलता हासिल कर लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जवानों को मिली यह कामयाबी सराहनीय है। उनकी बहादुरी को सलाम करता हूं। हमारी डबल इंजन की सरकार में निश्चित ही हमारा छत्तीसगढ़ मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त होकर रहेगा।

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