कोलकाता, 19 जनवरी। पश्चिम बंगाल में “द्वार पर सरकार (दुआरे सरकार)” शिविर की शुरुआत 24 जनवरी से होने जा रही है। इस बार राज्य सरकार की 37 योजनाओं और सेवाओं का लाभ नागरिक उठा सकेंगे। इन शिविरों के संचालन को लेकर शनिवार देर शाम को नवान्न ने 11 दिशा-निर्देश जारी किए। निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि शिविरों का आयोजन त्योहार जैसे सकारात्मक माहौल में किया जाए।
यह “द्वार पर सरकार” शिविर का नौवां संस्करण होगा। शिविर में 18 विभागों की 37 योजनाओं के लिए आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। प्रत्येक पंचायत में दो से तीन शिविर अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे। शिविर स्थलों का चयन जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। स्कूल, कॉलेज या सामुदायिक भवनों में शिविर आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिकतम लोग एकत्र हो सकें। पिछली बार जिन इलाकों में कम शिविर हुए , वहां इस बार प्राथमिकता दी जाएगी। पंचायत क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर शिविरों की संख्या तय की जाएगी। छोटे वार्डों के लिए एक ही शिविर में आवेदन स्वीकार किए जा सकते हैं।
दुर्गम क्षेत्रों में शिविरों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल शिविर लगाए जाएंगे। कुल शिविरों का 30 प्रतिशत मोबाइल शिविरों के रूप में आयोजित होगा। शिविर के समय, स्थान और तिथियों का निर्धारण इस प्रकार किया जाएगा कि अधिकतम लोग लाभान्वित हो सकें। शिविरों के दौरान आवेदनकर्ताओं की जानकारी को सटीकता से दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
शिविरों के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया गया है। सोशल मीडिया का उपयोग शिविरों के पहले, दौरान और बाद में प्रचार के लिए किया जाएगा। स्वयं सहायता समूहों को इन शिविरों में भाग लेने और अपनी सामग्री बेचने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। कन्याश्री क्लब की सदस्याओं को भी शिविर में भाग लेने का निर्देश दिया गया है।
“द्वार पर सरकार” योजना की शुरुआत दिसंबर 2020 में हुई थी। इसका उद्देश्य राज्य सरकार की योजनाओं को नागरिकों तक सहज और सरल तरीके से पहुंचाना है। इस योजना के तहत नागरिकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पड़ती। वे शिविर में जाकर ही योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बार शिविर में एक फरवरी तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और 28 फरवरी तक इनका प्रसंस्करण पूरा कर लिया जाएगा। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि इन शिविरों में नागरिकों को सकारात्मक और सहज अनुभव प्राप्त हो।