नई दिल्ली, 13 जनवरी । वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की घटक प्रयोगशाला राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान की ओर से 14-15 जनवरी को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन संस्थान के चौथे स्थापना दिवस समारोह के सिलसिले में नई दिल्ली में होगा।
दरअसल, राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान में विज्ञान संचार और साक्ष्य आधारित नीति पर केंद्रित अध्ययन किए जाते हैं। यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्योग और समाज के बीच सेतु का काम करता है। संस्थान की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य प्रमुख विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, विद्वानों और शोधकर्ताओं को समकालीन अनुसंधान में उभरते मुद्दों और अनुसंधान एवं विकास प्रशासन के लिए कार्य निष्पादन के मूल्यांकन से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाना है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सम्मेलन में कई प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी। इनमें मूल्यांकन की विधियां, दृष्टिकोण और कामकाज के तौर-तरीके, सबके लिए विज्ञान, सबके लिए स्रोत और सबकी पहुंच, अनुसंधान एवं विकास तथा सोशल मीडिया को आपस में जोड़ने से पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव की माप और अनुसंधान एवं विकास प्रशासन में दूरदर्शिता प्रमुख हैं। सम्मेलन में इस बात पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा कि सरकारी कार्यक्रमों के प्रदर्शन और प्रभाव को किस तरह से और अधिक मजबूत तरीके से लक्षित किया जा सकता है। इसके संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियों पर भी चर्चा होगी, जिनसे इन पहलों को मजबूत किया जा सके।
सम्मेलन में 300 प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। इनमें भारत और विदेश के प्रमुख विशेषज्ञ सम्मेलन के विभिन्न सत्रों को संबोधित करेंगे। साथ ही, कई युवा शोधकर्ता शोधपत्र और पोस्टर प्रस्तुत करेंगे। भारत के शीर्ष वैज्ञानिक और नीति निर्माता भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे। आईएनएसए के अध्यक्ष, आईआईटी कानपुर में संस्थान के चेयर प्रोफेसर और सीवी शेषाद्रि चेयर प्रोफेसर, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे और व्याख्यान देंगे। विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) के महानिदेशक प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी स्थापना दिवस व्याख्यान देंगे।
नीति आयोग, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञ भी इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे। सम्मेलन में बीज वक्तव्य और आमंत्रित वार्ताओं के साथ-साथ पैनल सत्र और पेपर प्रस्तुतियां भी होंगी। सम्मेलन को फ्रांस, रूस, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और आर्मेनिया के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी संबोधित करेंगे। इसके अतिरिक्त जर्मनी, मैक्सिको और नीदरलैंड के साइंस काउंसिलर भी सम्मेलन में भाग लेंगे और पैनल चर्चा में शामिल होंगे।