कोलकाता, 4 जनवरी । पश्चिम बंगाल में 15 साल से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों के संचालन पर रोक के चलते अगले साल के अंत तक करीब 1,500 मीटरयुक्त पीली टैक्सियों को सड़कों से हटाया जाएगा। राज्य परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
फिलहाल राज्य में लगभग 4,500 एंबेसेडर मॉडल की मीटरयुक्त पीली टैक्सियां चल रही हैं, लेकिन 2026 तक इनकी संख्या घटकर 3,000 रह जाएगी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2008 में एक आदेश जारी कर 15 साल से पुराने वाणिज्यिक वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे अब सख्ती से लागू किया जा रहा है।
कोलकाता की पहचान बन चुकी इन पीली टैक्सियों का अस्तित्व अब संकट में हैं। कई टैक्सी यूनियनों ने परिवहन विभाग से इस ऐतिहासिक परिवहन सेवा को बचाने के लिए व्यावहारिक पुनरुद्धार पैकेज की मांग की है।
टैक्सी चालकों के संगठन का दावा है कि कई एंबेसेडर मॉडल की पीली टैक्सियां अभी भी सड़कों पर चलने योग्य हैं। यदि उचित रखरखाव किया जाए और इंजन बदला जाए, तो ये वाहन कम से कम पांच साल और सड़कों पर दौड़ सकती हैं। यूनियन की मांग है कि परिवहन विभाग 15 साल की आयु सीमा को हटाए, जिससे इन टैक्सियों को और कुछ वर्षों तक चलने की अनुमति मिले।
इंटक (आईएनटीयूसी) के राज्य अध्यक्ष और टैक्सी विंग के नेता प्रमोद पांडे ने कहा, “2019-20 में कोलकाता और उसके आसपास 25 हजार पीली टैक्सियां थीं। यह संख्या 2023 तक घटकर 8,500 रह गई। अगले साल अप्रैल तक यह संख्या और घटने वाली है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम सरकार से जानना चाहते हैं कि इस संकट से निपटने के लिए उनकी क्या योजना है। 2016 के बाद से मीटरयुक्त पीली टैक्सियों के किराए में कोई संशोधन नहीं किया गया है। सरकार ने इस सेवा को लगभग निष्क्रिय बना दिया है, जबकि ऐप आधारित टैक्सी सेवा का उपयोग अधिकांश बुजुर्ग टैक्सी चालक नहीं कर सकते।”
ममता बनर्जी को खुला पत्र, प्रतीकात्मक विरोध की योजना
टैक्सी यूनियन ने ऐलान किया है कि लगभग दस हजार टैक्सी चालक और उनके परिवार जल्द ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुला पत्र भेजेंगे और परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती को प्रतीकात्मक विरोध स्वरूप गुलाब का फूल भेंट करेंगे।
प्रमोद पांडे ने कहा, “बॉलीवुड फिल्मों से लेकर सत्यजीत रे और मृणाल सेन जैसे दिग्गज निर्देशकों की कृतियों में कोलकाता की पीली टैक्सी को जगह दी गई है। शहर में आने वाले पर्यटक पीली टैक्सियों के साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं और इनमें सफर करना पसंद करते हैं। अगर सरकार ने जल्द कुछ नहीं किया, तो कोलकाता का यह ऐतिहासिक हिस्सा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।”
सरकार की योजना, बीएस-6 मॉडल के टैक्सियों पर जोर
परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सरकार मीटरयुक्त टैक्सियों को पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहती, लेकिन पुराने एंबेसेडर मॉडल को बदलना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “हम 2008 के हाईकोर्ट आदेश का पालन करने के लिए बाध्य हैं, जिसमें 15 साल से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों पर रोक लगाई गई है। इसलिए हमें हितधारकों के लिए वैकल्पिक उपाय खोजने होंगे।”
उन्होंने बताया कि “सरकार बीएस-6 मानकों के अनुरूप नए मॉडलों को प्रोत्साहित करने और टैक्सी मालिकों को बैंक लोन दिलाने की योजना बना रही है। जल्द ही टैक्सी यूनियनों के साथ बैठक होगी।”
पीली टैक्सियों का इतिहास
कभी काले और पीले रंग में नजर आने वाली एंबेसेडर टैक्सियों ने पहली बार 1962 में कोलकाता की सड़कों पर दौड़ लगाई थी। यह टैक्सी कोलकाता के लिए उतनी ही पहचान रखती है, जितनी हावड़ा ब्रिज और विक्टोरिया मेमोरियल। लेकिन अब, अगर सरकार और यूनियन के बीच कोई समाधान नहीं निकलता, तो यह ऐतिहासिक परिवहन सेवा जल्द ही इतिहास बन सकती है।