नयी दिल्ली, 09 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस महासचिव नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को 23 साल पुराने कथित हिंसक विरोध प्रदर्शन मामले में राहत देते हुए उत्तर प्रदेश के वाराणसी की एक अदालत की ओर से उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) पर गुरुवार को पांच सप्ताह के लिए रोक लगा दी।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुरजेवाला द्वारा दायर एक रिट याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद अपना यह आदेश पारित किया।

पीठ ने वरिष्ठ नेता सुरजेवाला को एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए वाराणसी अदालत में पेश होने के वास्ते चार सप्ताह का समय दिया।

याचिकाकर्ता के वकील सिंघवी ने शीर्ष अदालत से अपील करते हुए कहा कि 23 साल पहले हुई एक घटना के लिए एक प्रमुख राजनीतिक दल के सचिव के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है।

पीठ ने उनसे पूछा, “आप यहां क्यों आये? आपको उच्च न्यायालय जाना चाहिए।”

इस पर सिंघवी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय गए थे, लेकिन उन्होंने कोई आदेश पारित नहीं किया और तत्काल उल्लेख करने से इनकार कर दिया गया। वरिष्ठ वकील ने यह भी दलील दी कि भले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया हो, नामित अदालत द्वारा एनबीडब्ल्यू जारी किया गया।

अक्टूबर में उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रख लिया और सात नवंबर को उनके मुवक्किल के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया गया और वह उच्च न्यायालय गए लेकिन उच्च न्यायालय ने न तो उल्लेख करने की अनुमति दी और न ही सूचीबद्ध करने की।

शीर्ष अदालत के समक्ष सिंघवी ने कहा कि यह वर्ष 2000 का मुकदमा है, क्योंकि कथित राजनीतिक आंदोलन में याचिकाकर्ता एक युवा कांग्रेस नेता के रूप में शामिल हुए थे।

शीर्ष अदालत ने सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि सुरजेवाला विशेष अदालत के समक्ष पेश होकर एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

अदालत ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह की अवधि के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए एक आवेदन दायर करने की छूट दी।