नयी दिल्ली, 09 नवंबर। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुरुवार को कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा को वैश्विक स्तर का बनाने के लिये शिक्षा, शोध, उत्पाद और सेवा के माध्यम से एक मजबूत ताना बाना तैयार किया जा रहा है।

सोनोवाल ने हरियाणा के पंचकुला में आठ राज्यों की राष्ट्रीय आयुष मिशन की समीक्षा बैठक काे संबोधित करते हुये कहा कि नीतियों, रणनीतियों और प्रयासों के माध्यम से, भारत ने जमीनी स्तर पर एक मजबूत आयुष पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा हजारों साल पुरानी एक संस्कृति का हिस्सा है और प्राचीन काल से यह भारत के समाज, शिक्षा, सेवा और जीवनचर्या के रूप में मौजूद रही है।

सोनोवाल ने कहा कि हाल ही में जी 20 की बैठक में भारत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश पर सदस्य देशों की सहमति प्राप्त हुयी। उन्होंने कहा कि नये-नये प्रयोगों को लेकर लगातार आगे बढ़ते रहने की सोच ने भारत को एक विकासशील देश से विश्व के पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदल दिया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि युवा और जन सामान्य सभी कृषि, बागबानी और पशु चिकित्सा से जुड़े आयुर्वेद के उत्पादों का व्यावसायिक निर्माण कर स्टार्टअप का निर्माण कर सकते हैं। ऐसे स्टार्टअप के बनने और बढ़ने से भारत की अर्थव्ययवस्था एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनकर और मजबूत बन सकेगी।

इस अवसर पर केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री मुंजपरा महेंद्रभाई भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को जीवनचर्या का हिस्सा बनाकर स्वास्थ्य जगत की सर्विस डिलिवरी को और अधिक मजबूत किया जा सकता है। आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद ज्ञान का एक कभी न समाप्त होने वाला खजाना है जो समय और संस्कृति के अनुसार आगे बढ़ता रहता है।