नयी दिल्ली, 06 नवंबर। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सोनीपत, पानीपत और रोहतक में जल रही पराली का धुंआ दिल्ली में आ रहा है।

आप की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सोमवार को कहा कि देश में अरविंद केजरीवाल इकलौते नेता हैं जो प्रदूषण के खिलाफ लगातार लघु और दीर्घकालिक कदम उठाते हैं और उसको लागू करवाते हैं। इसी वजह से इस साल दिल्ली में पिछले 08 सालों में सबसे बेहतर हवा थी। आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में इस बार 31 फीसदी प्रदूषण कम हुआ है। केंद्र सरकार को भी संसद पलट पर रखे गए अपने आर्थिक सर्वे 2022-23 में स्वीकारना पड़ा है कि दिल्ली में इस बार पिछले 08 सालों में सबसे बेहतर हवा थी।

कक्कड़ ने कहा कि सीएक्यूएम के आंकड़े दिखाते हैं कि पंजाब में पिछले साल के मुकाबले इस साल 50-67 फीसद पराली कम जली है। पंजाब में वर्तमान में जो पराली जल रही है, वो दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर है और हरियाणा में जल रही पराली 100 किलोमीटर दूर है। दिल्ली के सबसे करीब हरियाणा है। इसकी समीक्षा करना जरूरी है कि 2014 से खट्टर सरकार ने प्रदूषण को लेकर हरियाणा में क्या कदम उठाए?

उन्होंने कहा कि अब जाकर हरियाणा सरकार 100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने पर विचार कर रही है, अभी ली नहीं है। हरियाणा में अभी भी दिल्ली में प्रतिबंधित ईंधन वाली बसें चल रही हैं। वहां सभी बसें बीएस-3 और बीएस-4 की हैं। हरियाणा से बीएस-3 और बीएस-4 बसें दिल्ली में प्रवेश कर रही हैं। इसी तरह हरियाणा सरकार 2023 में भी अपने नागरिकों को 24 घंटे बिजली देने में असमर्थ रही है। हरियाणा में पावर कट बहुत लंबे होते हैं और लोगों को डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में उद्योगों की क्या हालत होगी, समझा जा सकता है।

आप प्रवक्ता ने कहा कि 2014 में आई खट्टर सरकार अभी तक पराली का भी कोई समाधान नहीं निकाल पाई है। अगर पंजाब सरकार एक साल में ही पराली जलने में 50-67 फीसदी की कमी लाकर दिखाया है तो हरियाणा की खट्टर सरकार 2014 से यह करने में विफल क्यों रही है?

उन्होंने कहा कि ग्रीन कवर के मामले में दिल्ली में पूरे देश में पहले स्थान पर है। दिल्ली में 23.6 फीसदी ग्रीन कवर है और 2025 तक इसे बढ़ाकर 27 फीसदी तक करने का लक्ष्य है। केजरीवाल सरकार ने दिल्लीवालों के साथ मिलकर ग्रीन कवर को बढ़ाया है। वहीं, हरियाणा में ढेरों पेड़ काटे गए हैं और वहां केवल 3.6 फीसदी ही ग्रीन कवर है।