कोलकाता, 29 नवंबर । हावड़ा के कदमतला स्थित तारासुंदरी बालिका विद्याभवन की प्रिंसिपल मोनालिसा माईती, जो आर.जी. कर आंदोलन के दौरान छात्राओं के साथ सड़कों पर उतरी थीं, अब बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ मुखर हो गई हैं। उन्होंने रविवार को कोलकाता के रवींद्र सदन में लोगों से जुटने की अपील की है, ताकि बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के समर्थन में आवाज उठाई जा सके।

मोनालिसा का कहना है कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह अस्वीकार्य है। एक स्वतंत्र देश में नागरिकों के साथ जाति और धर्म के आधार पर अत्याचार करना न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि सरकार की विफलता को भी दर्शाता है।

मोनालिसा ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि हर स्वतंत्र देश की सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को समान अधिकार और सेवाएं प्रदान करे। लेकिन बांग्लादेश की सरकार इसमें विफल रही है। उन्होंने आगे कहा, “अब समय आ गया है कि हम उन लोगों के समर्थन में खड़े हों, जो अपने ही देश में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।”

आर.जी. कर आंदोलन में मिली थी पहचान
मोनालिसा माईती पहले भी सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रही हैं। आर.जी. कर अस्पताल में महिला चिकित्सक की हत्या और दुष्कर्म के खिलाफ जब कोलकाता में प्रदर्शन शुरू हुआ था, तब मोनालिसा ने अपनी स्कूल की छात्राओं के साथ एक मौन रैली निकाली थी। इस घटना के बाद वे सुर्खियों में आई थीं। उन्होंने यहां तक कि दुर्गापूजा का बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया था।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक नेता चिन्मयकृष्ण दास की गिरफ्तारी और उसके बाद हुई हिंसा ने मोनालिसा को झकझोर दिया है। दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में कई जगह हिंसा भड़क उठी है। वहां अल्पसंख्यक समुदाय ने उनकी रिहाई के लिए प्रदर्शन किया, जिसमें एक वकील की मौत हो गई।

बांग्लादेश की स्थिति को लेकर भारत में भी चिंता व्यक्त की जा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर भारत सरकार के रुख का समर्थन करेगी।

रविवार को रवींद्र सदन में होने वाले इस विरोध प्रदर्शन के जरिए मोनालिसा माईती बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए कोलकाता से समर्थन की आवाज उठाना चाहती हैं। उन्होंने सभी से इसमें शामिल होने की अपील की है।