कोलकाता, 27 सितंबर। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पुरानी चिकित्सा सामग्री और उपकरणों की मरम्मत कर उन्हें नया बनाकर, नया सीरियल नंबर और टैग लगाकर सरकारी पैसों से खरीदने के आरोप सामने आए हैं। इस मामले में तृणमूल विधायक और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन सुदीप्त राय सवालों के घेरे में आ गये हैं। इस मामले में हावड़ा की एक वाणिज्यिक कंपनी के प्रमुख, सुब्रत बोस ने आरोप लगाया है कि यह सामग्री सुदीप्त राय के निजी नर्सिंग होम में भी मुफ्त में भेजी जाती थी।

इस आरोप में सफाई कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाली एक और कंपनी से जुड़े बप्पा भट्टाचार्य का कहना है कि 2023 से अस्पताल के तीन सफाईकर्मियों, जन्मेजय महतो, सिमरन सिंह, और अयूब खान को सुदीप्त राय के नर्सिंग होम में स्थायी रूप से काम करना पड़ा, लेकिन उनकी तनख्वाह उन्हें नहीं दी जाती थी। बप्पा भट्टाचार्य ने सीबीआई के समक्ष इस संबंध में बयान दिया है। उनके अनुसार, “रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन बनने के बाद, सुदीप्त राय ने मुझे अस्पताल में बुलाकर अपने नर्सिंग होम के इंफ्रास्ट्रक्चर को मुफ्त में सुधारने के लिए कहा। यहां तक कि सिंगुर स्थित उनके फार्महाउस में भी हमारी कंपनी को पेड़-पौधे लगाने के लिए मजबूर किया गया था।”

इस मामले में ट्रॉमा केयर इमरजेंसी से कई मरीजों को सुदीप्त राय के नर्सिंग होम में नियमित रूप से भेजे जाने का भी आरोप है। इसके अलावा, अगर किसी मरीज की हालत अचानक बिगड़ जाती, तो उसे वापस आरजी कर अस्पताल में भर्ती कराया जाता। इस मामले की जांच में शामिल लोगों ने ट्रॉमा केयर इमरजेंसी के दो कर्मचारियों के नाम भी आरोपों में दर्ज किए हैं।

सभी आरोपों को नकारते हुए सुदीप्त राय ने शुक्रवार को कहा, “यह पूरी तरह से झूठ है। मेरे घर और नर्सिंग होम में ईडी अधिकारियों ने 20 घंटे तक तलाशी ली और मुझसे पूछताछ की, लेकिन कुछ भी नहीं मिला।

2023 में, आरजी कर के पूर्व डिप्टी सुपर आख्तर अली ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और स्वास्थ्य विभाग को चिट्ठी लिखकर आरजी कर अस्पताल में हो रही भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी, जिसमें संदीप घोष और सुदीप्त राय पर प्रत्यक्ष समर्थन के आरोप लगाए थे। उस समय इस मामले की जांच आगे नहीं बढ़ी थी, लेकिन अब सीबीआई ने कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू कर दी है।

आरोपों के जवाब में, सुदीप्त राय से पूछा गया कि उन्होंने संदीप घोष के भ्रष्टाचार के खिलाफ कभी क्यों नहीं बोला, उल्टा उनकी प्रशंसा करते रहे? इस पर सुदीप्त ने कहा, “मैं अस्पताल के संचालन के मामलों में शामिल नहीं था। मेरा सिर्फ ‘सलाहकार’ पद था, इसलिए मेरे लिए यह समझना मुश्किल था कि अंदर क्या हो रहा था।”

स्वास्थ्य सेवा के डॉक्टरों की संस्था ‘असोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स’ के सदस्य, डॉक्टर सुभ्रन गोस्वामी का दावा है कि, “सुदीप्त राय, संदिप घोष के भ्रष्टाचार के नेटवर्क का हिस्सा थे और यह भी सभी जानते थे कि आरजी कर अस्पताल से नियमित रूप से उनके नर्सिंग होम में चिकित्सा सामग्री, दवाएं और मरीज भेजे जाते थे।”