सरकार और सेनाएं देश के सीमावर्ती इलाकों के विकास को लेकर प्रतिबद्ध- पिछले 4 सालों में 7,000 से अधिक सीमावर्ती गांवों को इंटरनेट से जोड़ा गया
नई दिल्ली, 11 सितम्बर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को भारत की भौगोलिक स्थितियों में अलग-अलग सुरक्षा चुनौतियों की चर्चा करते हुए सीमावर्ती इलाकों के बुनियादी विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण में तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है, जहां की परिस्थितियां अलग हैं। पश्चिम में कच्छ के रण से लेकर, राजस्थान और पंजाब में चुनौतियां अलग हैं। उत्तर में कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक हिमालय के होने के कारण वहां चुनौतियां अलग हैं। यानी हर जगह अलग-अलग तरीके का भूगोल होने से उनकी अलग-अलग चुनौतियां हैं और उसके अनुसार हमें वहां के विकास पर ध्यान देना होता है।
नई दिल्ली के मानेकशा सेंटर में बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट कॉन्क्लेव में रक्षा मंत्री ने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हमारी सरकार और हमारी सेनाएं देश के सीमावर्ती इलाकों के विकास को लेकर कितनी प्रतिबद्ध हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस कॉन्क्लेव के दौरान हम सब इससे संबंधित सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करेंगे। यहां से ऐसी बातें निकलेंगी, जो देश के सीमावर्ती इलाकों के साथ-साथ हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे देश के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होंगी। पिछले 10 वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में साढ़े आठ हजार किलोमीटर से भी अधिक सड़कों का निर्माण हुआ है। लगभग चार सौ किलोमीटर से अधिक स्थायी पुलों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा बनाई गईं सुरंगें सीमा क्षेत्र विकास में मील का पत्थर साबित होंगी।
उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र विकास के लिए हमारी सरकार ने 220 किलो वोल्ट की श्रीनगर-लेह बिजली लाइन चालू की है, जिससे लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र नेशनल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से जुड़ पाए। इसके साथ-साथ सिक्किम सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। हमारा यह मानना है कि सड़क और बिजली ऐसी बुनियादी सुविधाएं हैं, जो किसी भी क्षेत्र के विकास की नींव बनती हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर लॉन्च करते हुए हमने भारत-नेट ब्रॉडबैंड प्रोजेक्ट के माध्यम से 1500 से अधिक गांवों में हाई-स्पीड इंटरनेट का वादा किया है। सिर्फ पिछले 4 सालों में ही हमने 7,000 से अधिक सीमावर्ती गांवों को इंटरनेट से जोड़ा है और इनमें भी हमारा ज्यादातर फोकस लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के संवेदनशील इलाकों पर रहा है।
राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती इलाकों के विकास में सेना का सहयोग सराहनीय बताते हुए कहा कि उत्तरी सीमा पर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के गांव कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा की कमी से जूझ रहे हैं। इन गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़कर एक ‘मॉडल विलेज’ के रूप में परिवर्तित करना हमारा उद्देश्य है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के गांव ‘हुरी’ का उदाहरण देते हुए कहा कि यह गांव नागरिक-सैन्य सहयोग के माध्यम से विकसित होने का अनोखा उदाहरण है। यहां तरफ भारत सरकार और अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने आर्थिक विकास पर ध्यान दिया तो दूसरी तरफ सीमा सड़क संगठन और भारतीय सेना ने बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान दिया। इसका परिणाम यह निकला कि ‘हुरी’ गांव से पलायन करने वाले ग्रामीण अब फिर वापस आने लगे हैं।