बदरीनाथ धाम/देहरादून, 24 अक्टूबर। उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु इस वर्ष 18 नवंबर को अपराह्न तीन बजकर 33 मिनट पर बंद हो जायेंगे। मंगलवार को विजय दशमी पर मंदिर परिसर में आयोजित धार्मिक समारोह में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी को साक्षी मानकर कपाट बंद करने की तिथि की घोषणा की। धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने पंचांग गणना की तथा वेदपाठी रविन्द्र भट्ट सहित वेदाचार्यो ने स्वास्तिवाचन किया। आज ही नये यात्रा वर्ष में भंडार व्यवस्था के लिए पगड़ी भेंट कर, जिम्मेदारी दी गयी।

श्री बद्रीनाथ, केदार नाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने हकूक धारियों को यह पगड़ी भेंट की। यह पगड़ी राम सिंह भंडारी, मोहन प्रसाद भट्ट, निश्चय मेहता, अविनाश पंवार को भेंट हुई। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि इस बार अभी तक बदरी- केदार यात्रा में रिकार्ड 34 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन कर लिए हैं।

बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया में पहले पंच पूजा शुरू होंगी। आगामी 14 नवंबर को गणेश जी के कपाट बंद होंगे। इसके बाद 15 नवंबर दिन‌ में आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे। आगामी 16 नवंबर तीसरे दिन खडग पुस्तक पूजन के बाद वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जायेगा। चौथे दिन 17 नवंबर को लक्ष्मी जी को कढाई भोग तथा पांचवे दिन 18 नवंबर को रावल जी स्त्री भेष धारण कर, लक्ष्मी माता को भगवान बदरीनाथ जी के सानिध्य में रखेंगे। उसके पश्चात, अपराह्न तीन बजकर, 33 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद हो जायेंगे। कपाट बंद होने के बाद 19 नवंबर को प्रात: श्री उद्धव‌ जी एवं कुबेर जी योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर स्थित गद्दीस्थल को प्रस्थान करेगी।

उल्लेखनीय है कि श्री केदारनाथ तथा यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर 15 नवंबर दोपहर को बंद हो जायेंगे। वहीं, श्री गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट के अवसर पर 14 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे जबकि द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 22 नवंबर तथा तृतीय केदार तुंगनाथ जो के कपाट एक नवंबर पूर्वाह्न को बंद कर दिये जायेंगे।