काठमांडू, 22 अगस्त। संक्रमणकालीन न्याय संबंधी विधेयक के विरोध में संसद भवन के सामने पीड़ित परिवारों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया है।प्रदर्शनकारियों ने सत्य, न्याय और क्षतिपूर्ति का अधिकार सुनिश्चित करने, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार संक्रमणकालीन न्याय व्यवस्था लागू करने, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार संक्रमणकालीन न्याय अधिनियम में संशोधन करने की मांग को लेकर नारेबाजी की।
इस विधेयक में सुधार किए जाने की मांग को लेकर बीते दिनों तीन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की तरफ से बयान जारी होने के बाद आज पीड़ित परिवारों और करीब डेढ़ दर्जन से अधिक संगठनों ने टीआरसी संशोधन बिल में संशोधन की अपील की है। आज संसद भवन के बाहर करीब 19 संगठनों ने सामूहिक रूप से इस टीआरसी विधेयक में व्यापक रूप से परिवर्तन किए जाने, इस विधेयक को पीड़ित मैत्री बनाने और अमानवीय घटनाओं को आममाफी के दायरे से बाहर रखने की मांग करते हुए यह विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था, “अपराधियों को छूट देने के प्रावधानों को संशोधित करें, पीड़ितों की आवाज को नजरअंदाज करना बंद करें और संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप बंद करें।” प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्व सदस्य मोहना अंसारी ने कहा कि दंडहीनता का समर्थन करने वाला विधेयक किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है।
संक्रमणकालीन न्याय विधेयक अब प्रतिनिधि सभा से पारित होने के बाद नेशनल असेंबली में पहुंच गया है। नेशनल असेंबली से पारित होने के बाद बिल सत्यापन के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा। बीते दिनों तीन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स ने एक संयुक्त बयान जारी करके संसद की प्रतिनिधि सभा से पारित टीआरसी विधेयक के कई प्रावधानों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और इस कानून को अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानकों के अनुरूप बनाने के लिए नेपाल की संसद को इसमें गंभीर जवाबदेही के साथ पुनरावलोकन करने की मांग की थी।