कोलकाता, 07 अगस्त। चिकित्सा, शिक्षा या अन्य कारणों से कोलकाता आए कई बांग्लादेशी नागरिक अब यहां फंसे हुए हैं वह अपने देश में जारी हिंसा और अचानक हुए सत्ता परिवर्तन को लेकर चिंतित हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच ट्रेन सेवाओं के निलंबन ने उनकी चिंता को और बढ़ा दी है।
बांग्लादेश के निवासी 35 वर्षीय मोहम्मद मुश्ताक ने कहा, “मैं अपने पिता के इलाज के लिए यहां आया था और हम पिछले 20 दिनों से कोलकाता में फंसे हुए हैं, मुझे ढाका में रह रहे अपने परिवार की चिंता है।”
कोलकाता के एक निजी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले इमरान अली माणिक ने मुश्ताक की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “पिछले तीन दिनों से मैं अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहा हूं। मेरा परिवार अवामी लीग का समर्थक है। मुझे नहीं पता कि वे सुरक्षित हैं या नहीं। संचार चैनलों के बाधित होने के कारण वे यह पता करने में असमर्थ हैं कि उनके प्रियजन घर पर सुरक्षित हैं या नहीं।”
बारिसाल के निवासी ज्वेल इलियास ने कहा, “हम इस सत्ता परिवर्तन चाहते थे लेकिन हिंसा नहीं। जन विद्रोह के नाम पर हो रही हिंसा पूरी तरह से पागलपन है। यह समाप्त होनी चाहिए। हमारे जैसे लोग अपने परिवार और दोस्तों से दूर हैं, उनके लिए यह कठिन है क्योंकि हम उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।”
ढाका के निवासी तौसीफ रहीम अपनी मां के इलाज के लिए कोलकाता में हैं। उन्होंने कहा, “धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बंद होने चाहिए, क्योंकि इससे दुनिया भर में हमारी छवि खराब होती है। बांग्लादेशी विभिन्न कारणों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं, और इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।”
बांग्लादेश में अशांति के कारण सीमा पार परिवहन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। पूर्वी रेलवे ने घोषणा की है कि कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस 19 जुलाई से बंद है और अगले नोटिस तक निलंबित रहेगी। इसी तरह द्वि-साप्ताहिक कोलकाता-खुलना-कोलकाता बंधन एक्सप्रेस 21 जुलाई से निलंबित है। बांग्लादेश में अशांति के कारण बस सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं।
कोलकाता में रहने वाले बांग्लादेशियों ने पहले तो अपने देश में हुए सत्ता परिवर्तन का स्वागत किया था लेकिन अब वे हिंसा रोकने की मांग कर रहे हैं।
कुछ ने अपने देश में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की निंदा की और कहा कि ऐसे उदाहरण बांग्लादेश के बारे में गलत संदेश भेजते हैं।