नई दिल्ली, 06 अगस्त । प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश के सभी किसानों के लिए है। इसमें ग्राम पंचायत को इकाई बनाया गया है ताकि किसान के नुकसान की भरपाई ठीक ढंग से हो। इसके लिए अलग-अलग माॅडल बनाए गए हैं। मंगलवार काे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चाैहान ने लाेकसभा में फसल बीमा पर चर्चा के दाैरान यह बात कही।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानाें के फसल की बीमा राशि का भुगतान अब ग्राम पंचायत स्तर से हाेगा। किसान के नुकसान की भरपाई ठीक ढंग से हो इसलिए ग्राम पंचायत काे ईकाई बनाई गई है। फसल के नुकसान का सर्वे रिमाेट सेंसिंग से हाेगा। शिकायत के लिए डिजिक्लेम नामक पाेर्टल बनाया गया है। उन्हाेंने यह भी कहा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश के सभी किसानों के लिए है। उन्हाेंने बताया कि अब तक किसानाें की नुकसान की भरपाई के लिए ब्लाक पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब इसमें ग्राम पंचायत को इकाई बनाया गया है ताकि किसान के नुकसान की भरपाई ठीक ढंग से हाे।
उन्हाेंने सदन काे यह भी बताया कि पहले की तरह नजरी सर्वे नहीं हाेगा। नुकसान का आकलन रिमाेट सेंसिंग माध्यम से किया जा रहा है। बीमित राशि के भुगतान के लिए कम से कम 30 प्रतिशत सर्वे रिमाेट सेंसिंग से कराना जरूरी हाेगा। उन्हाेंने बताया कि फसल बीमा के दावे के लिए डिजिक्लेम नामक पाेर्टल बनाया गया है। अगर किसान को किसी कारण लाभ नहीं मिल रहा तो वह शिकायत करते हैं, शिकायत की प्रभावी मॉनिटरिंग की व्यवस्था है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने यह भी कहा कि अक्सर राज्य सरकारें बीमित राशि का प्रीमियम देने में देरी करती हैं। उन्हाेंने आंकड़ाें में बताया कि अब तक इस मामले में 99.98 प्रतिशत राज्य सरकार देरी करती हैं। इसलिए केंंद्र सरकार ने इस मामले में राज्याें से अलग (डीलिंक)कर लिया है। इस दाैरान उन्हाेंने देश के सभी राज्याें विशेषकर तमिलनाडु सरकार से अनुराेध किया कि वे उपज गणना की प्रीमियम की सब्सिडी की
राशि एक माह के भीतर जारी करें। इसके बाद अगर किसानाें की बीमा की राशि मिलने में देरी हाेती है ताे 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान बीमा कंपनियाें काे करना हाेगा। यह पैसा किसानाें के खाते में भेजा जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अलग-अलग 3 मॉडल हैं। केंद्र सरकार पॉलिसी बनाती है और राज्य सरकार जिस मॉडल को चुनना चाहे, उस मॉडल को चुनती है। सरकार ने फसल बीमा योजना को सरल बनाने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि किसानों को योजना का लाभ लेने में कोई दिक्कत न हो। अब तक इस योजना में 5 लाख 98 हजार हेक्टेयर भूमि तथा 3 करोड़ 97 लाख किसान कवर हुए हैं।