कोलकाता, 01 जुलाई । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) अब पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी की रणनीति अपनाएगी। कोलकाता में रविवार देर शाम समाप्त हुई माकपा की दो दिवसीय राज्य समिति की बैठक में इस बारे में फैसला लिया गया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सोमवार को नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर इस बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए आगामी उपचुनावों के लिए पार्टी की यही रणनीति होगी। इसमें माकपा नेतृत्व सीधे लोगों से कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट देने की अपील कर रहा है।

सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस से समान दूरी बनाए रखने का फैसला मुख्य रूप से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर है। क्योंकि दोनों पार्टियों के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण रखने का कोई कारण नहीं है।

दरअसल, भाकपा (माले) के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि राज्य समिति की बैठक में इस बात पर विस्तृत चर्चा हुई कि पार्टी किस तरह केंद्रीय स्तर पर भाजपा और राज्य स्तर पर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ समानांतर आंदोलन चलाएगी।

अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि यह तय किया गया है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ पार्टी जिन दो मुद्दों पर जोर देगी, वे हैं भ्रष्टाचार और सत्तारूढ़ पार्टी के एक वर्ग की मनमानी। बैठक में राज्य में अन्य वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ मिलकर समन्वित आंदोलन चलाने पर भी जोर दिया गया है। संयोग से, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस से समान दूरी के संबंध में पार्टी की नई लाइन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में माकपा की लाइन के विपरीत है, जहां पार्टी नेतृत्व ने “भाजपा को वोट न देने” का आह्वान किया था। हालांकि माकपा ने इंडी गठबंधन में तृणमूल की मौजूदगी का विरोध नहीं किया था। बल्कि, लोगों से अपील की  थी कि वे भाजपा को हराने में सक्षम किसी भी पार्टी को वोट दें।