ओंकार समाचार

कोलकाता , 16 अक्‍टूबर ।  काशीपुर रोड  के काव्य कक्ष में रविवार शाम ‘शब्दाक्षर’ पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से सरस काव्य समारोह का आयोजन किया गया। इसमें स्थापित व नवोदित रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ‘शब्दाक्षर’ दयाशंकर मिश्रा ने की तथा संचालन ‘शब्दाक्षर’ प्रदेश संगठन मंत्री ‘शब्दाक्षर’ नन्दू बिहारी ने किया। ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह दिग्दर्शक व प्रधान अतिथि के रूप में मंचासीन थे। कवि धर्मदेव सिंह व विश्वजीत शर्मा ‘सागर’ मुख्य अतिथिद्वय व कृष्ण कुमार दूबे व प्रणति ठाकुर विशिष्ट अतिथिद्वय के रूप में उपस्थित थे। राष्ट्रीय सलाहकार तारक दत्त सिंह की विशेष उपस्थिति रही। युवा गीतकार आलोक चौधरी की सरस्वती वंदना से काव्य अनुष्ठान का विधिवत शुभारंभ हुआ। बहुविधा पूर्ण काव्य आयोजन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार दुबे रचना पढ़ी-

भूखे पेट रहे यदि मानव तन का त्राण नहीं होगा।

जीवित रहे भले पर उसमें बौद्धिक प्राण नहीं होगा।।

 

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीवन सिंह की पंक्तियां कुछ इस तरह से थीं-

वन उपवन में घूम घूम कर जिसने राष्ट्र जगाया था।

जीवन जीने का पथ उसने ही सबको दिखलाया था।

 

नंदू बिहारी जी की पंक्तियों में सद्भाव का संदेश था-

भय से सती शिशु भी कई बार भिड़े हैं,

टकरा के चोट खा के सिकंदर भी फिरे हैं।

 

राष्ट्रीय संगठन मंत्री विश्वजीत शर्मा ‘सागर’ की पंक्तियां –

कहीं खो गई आज संगिनी, बदल गए सब याम।

लहर लहर में ‘सागर’ ढूंढे, गंगा जिसका नाम।।

युवा कवयित्री ज्योति साव की पंक्तियां आइनों पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती हुईं दिखीं-

हमारे यहां दो आईने है…।

जिनके अपने अलग अलग मायने है।।

 

रवींद्र श्रीवास्तव जी की पंक्तियां कुछ इस प्रकार थी –

सभ्यता की पालनहारी

मां गंगे तुम्हे प्रणाम है।।

 

प्रवेश पटियालवी की रचना दर्शन से लवरेज थी-

डायरी के आखिरी पन्ने जैसी आदमी की जिन्दगी ,

बड़ी अजीब है हर आदमी की जिंदगी ।।

 

वहीं आलोक चौधरी की रचना ने काव्य कक्ष को ऊर्जित कर दिया-

एक सुभाष कहीं से ला दो।

फिर से लौ राष्ट्रभक्ति की जगा दो।

कवि रवि प्रताप सिंह की एक ग़ज़ल का शेर सबको भावुक कर गया-

मेला जाकर भी जो खाली हाथ लौट आया,

उस बच्चे को चाँद दिखा बहलाया जाता है।

दोहाकार दया शंकर मिश्रा के दोहे भी सराहे गए। शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक चले इस सरस काव्य-अनुष्ठान में उपस्थित सुधी श्रोताओं में संजय कुमार सिंह, आनंद किशोर मिश्रा ‘मुन्ना’, प्रदीप सिंह, शशिकांत तिवारी, राजेश सिंह, संतोष सिंह, संजय सिंह दिनेश सिंह, व राज कुमार साव आदि उल्लेखनीय रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम आयोजक तारक दत्त सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ इस बहुरंगी काव्य-अनुष्ठान का समापन हुआ।