ओंकार समाचार

कोलकाता, 16 जून।

“यह मत सोच कि जिंदगी में कितने पल हैं

यह सोच कि हर पल में कितनी जिंदगी है”

किसी डॉक्टर को मर्ज के बारे में बताते या उसका इलाज सुझाते हम सबने सुना है पर शरीर की देखभाल की उपयोगिता बताते-बताते उसमें शेर और शायरी के रंग भरने वाले चिकित्सक विरल होते हैं  ।  महानगर की विशिष्ट संस्था “संस्कृति सौरभ” की ओर से शनिवार,15 जून 2024 को स्थानीय आई सी सी आर सभागार में  आयोजित कार्यक्रम “आरोग्य धन संपदा” के अवसर पर, मेडिकल जगत की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक “ओन योर बॉडी ” के लेखक एवं भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से अलंकृत विश्व विख्यात लीवर विशेषज्ञ डा. शिव सरीन ने, दो घंटे से अधिक समय तक खचाखच भरे सदन को  बेहतरीन  तरीके से सम्मोहित किए रखा ।

उनके साथ स्वास्थ्य संबंधी परिचर्चा में डा. इंद्रजीत तिवारी ने अनेक सरल प्रश्नों के माध्यम से  फैटी लीवर,डायबिटीज,हाई कोलेस्ट्रॉल,मोटापा,उच्च रक्तचाप, एसिडिटी,खान-पान एवं शरीर की आवश्यक देख-रेख  के बारे में सहज भाषा में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की। लोगों के प्रश्नों का तांता लग गया लेकिन डा. सरीन ने बड़े धैर्य के साथ सबको जवाब देकर संतुष्ट किया।  सभी ने इस तरह के और कार्यक्रम करवाने की मांग की ।

इस कार्यक्रम की समाप्ति पर सभागार के बाहर रखी डा. सरीन की  पुस्तक को खरीदने की होड़ लग गई और कुछ ही समय में सारी प्रतियां समाप्त हो गईं । एक विशिष्ट आयोजन ने सफलता के नए मुकाम हासिल किए ।डा.सरीन के शब्दों के द्वारा लोगों में दूसरी पारी खेलने का नया जोश और जज्बा पैदा हुआ।

 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर विशिष्ट फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में डा. सरीन की पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम अपनी कार का ध्यान बड़ी अच्छी तरह रखते हैं, पर अपने शरीर का ध्यान उस तरह नहीं रखते जबकि  शरीर की देख-रेख़ और भी ज्यादा जरूरी है ।

कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत महेश चंद्र शाह,विजय कानोड़िया,विनीत रुइया,लीला शाह,सरिता बेंगानी एवं डा. पवन अग्रवाल ने किया।संस्था के अध्यक्ष राम मोहन लखोटिया ने स्वागत भाषण दिया ।सचिव विमल नौलखा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए ‘संस्कृति सौरभ’ की अब तक की यात्रा पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के संयोजक श्री राजेंद्र खंडेलवाल ने इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस आयोजन की  आवश्यकता को रेखांकित किया।

संस्था के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद शाह ने डा शिव सरीन का परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी किताब की विषय-वस्तु और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और उपयोगिता की बात सभागार के सामने रखी ।संयुक्त सचिव प्रदीप जीवराजका ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम की सफलता में कार्यकारिणी सदस्य अजय अग्रवाल,जतन बरड़िया,सुभाष सोंथलिया,विकास रूंगटा,चित्रा नेवटिया एवं सदस्य मुकेश खेतान,अनुराधा खेतान,मंजू बरड़िया,सुमित झुनझुनवाला,संदीप अग्रवाल,अर्चना बंका तथा अन्य सदस्य सक्रिय रहे ।

 

संस्था के संरक्षक राधेश्याम गोयनका,महावीर प्रसाद मणकसिया, सज्जन भजनका,पदम् प्रकाश गुप्ता और विनोद बागड़ोदिया के अतिरिक्त उषा राधेश्याम अग्रवाल,सज्जन बंसल,मीनाक्षी मिश्रा,अनिरुद्ध चौधरी,डा.पवन अग्रवाल,डा.रमेश चंद्र शाह,डा.विकास प्रकाश,जितेंद्र जितांशु,पुरुषोत्तम तिवारी,जे एस मेहता,राज कुमार पाटोदी,पवन कुमार शाह,सुनील बंसल,प्रशान्त अरोड़ा इत्यादि गणमान्य उपस्थित थे।