कोलकाता, 13 जून। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने गुरुवार को गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती परीक्षा के परिणाम 13 साल तक विलंबित करने के लिए पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएमएससी) पर जुर्माना लगाया है।

न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति प्रसेनजीत विश्वास की खंडपीठ ने गुरुवार को दो लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए डब्ल्यूबीएमएससी अधिकारियों को यह राशि कलकत्ता उच्च न्यायालय के विधिक सेवा विभाग में जमा करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने डब्ल्यूबीएमएससी अधिकारियों को अगले तीन महीनों के भीतर तीन रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का भी निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि राज्य में मदरसों के लिए ग्रुप-डी श्रेणी में गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती के लिए प्रारंभिक परीक्षा 2010 में आयोजित की गई थी और 2011 में लिखित परीक्षा हुई थी। हालांकि, पिछले 13 वर्षों में परिणाम घोषित नहीं किए गए और कोई भर्ती नहीं की गई।

परीक्षा में शामिल होने वाले कुछ उम्मीदवारों ने परिणाम तत्काल प्रकाशित करने की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 2019 में, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने आदेश दिया कि रिक्त पदों को 14 दिनों के भीतर भरा जाना चाहिए।

हालांकि, बोर्ड अधिकारियों ने आदेश को डिवीजन बेंच में चुनौती दी। हालांकि, डिवीजन बेंच ने सिंगल-जज के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन बोर्ड ने विभिन्न आधार पर लगातार एक्सटेंशन की मांग की और परिणाम घोषित नहीं किए।

आखिरकार गुरुवार को डिवीजन बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया कि भर्ती प्रक्रिया अगले तीन महीनों के भीतर पूरी करनी होगी और इसके बाद कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा। अदालत द्वारा तय समय सीमा के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थता के लिए जुर्माना लगाया गया है।