चंडीगढ़,14 अक्टूबर। हरियाणा में राखीगढ़ी की तर्ज पर जल्द ही अग्रोहा का विकास भी पुरातात्विक स्थल के रूप में किया जाएगा, इसके लिये केंद्र सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने शनिवार को यहां बताया कि अग्रोहा पुरातात्विक स्थल को महाराजा अग्रसेन की राजधानी माना जाता है। इस स्थल के विकसित होने से आस्था का यह केंद्र न केवल विश्व में अपनी पहचान बनाएगा, बल्कि यह स्थल पर्यटन के रूप में भी विख्यात होगा। केंद्र सरकार ने अग्रोहा के पुरातात्विक स्थल एवं राखीगढ़ी की तर्ज पर समग्र विकास करने को मंजूरी प्रदान की है। इस सम्बंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अन्वेषण एवं उत्खनन अनुभाग के निदेशक परवीन कुमार मिश्रा ने हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के विशेष सचिव एवं निदेशक को लिखे पत्र में यह जानकारी दी है। पत्र में कहा गया है कि अग्रोहा ऐतिहासिक स्थल की खुदाई एएसआई और हरियाणा संयुक्त रूप से करेगा।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी को गत अगस्त माह में पत्र लिख कर इच्छा जताई थी कि राज्य सरकार हिसार जिले के अग्रोहा और तहसील आदमपुर में पुरातात्विक विरासत को उजागर करना चाहती है ताकि राज्य के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़े। उन्होंने इस स्थल को हरियाणा में एक भव्य विरासत स्थल में बदलने और पुरातत्व स्थल संग्रहालय और व्याख्या केंद्र की स्थापना के लिए एक परियोजना शुरू करने का भी अनुरोध किया है। खुदाई के दौरान अग्रोहा गणराज्य के सिक्कों का मिलना और महाभारत सहित प्राचीन साहित्य में इसका प्राचीन नाम अग्रडोका का जिक्र होना, इसके गणतंत्र का मुख्यालय होने के पर्याप्त प्रमाण हैं। अग्रोहा शहर तक्षशिला और मथुरा के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित था। यह फिरोज शाह तुगलक (1351-88 ई.) की नई बस्ती हिसार-ए -फिरोज़ा (हिसार-1354 ई.) के अस्तित्व में आने तक वाणिज्य और राजनीतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा। पहले की गयी खुदाइयों से इस स्थल की चौथी शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी तक की पांच अलग-अलग सांस्कृतिक विरासत का पता चलता है।