पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर संवाद

पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली में है समाधान

उदयपुर, 21 अप्रैल। प्लास्टिक, पॉलिथिन से धरती मां के स्वास्थ्य सहित हर इंसान के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। दैनिक जीवन में प्लास्टिक, पॉलिथिन के न्यूनतम उपयोग, सही निस्तारण व पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली से ही इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।

यह विचार पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक विषयक पर्यावरण संवाद में रखे गए। संवाद में विशेषज्ञ डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि प्लेट, प्लेटलेट, प्लेसेंटा सहित पूरे प्लेनेट में प्लास्टिक पॉल्यूशन है। कॉस्मेटिक्स के दुष्प्रभावों का खास उल्लेख करते हुए मेहता ने कहा कि शैम्पू, क्लींजर, कंडीशनर, लोशन, सनस्क्रीन, सीरम, स्प्रे सभी में माइक्रो प्लास्टिक है। हवा, पानी तथा खाद्य सामग्री से हमारे शरीर में पहुंच ये विषैले महीन कण खून प्लेटलेट तथा मातृ शरीर से गर्भ को जोड़ने वाली नाल (प्लेसेंटा) तक को दूषित कर कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार एक महीने में बीस ग्राम तक प्लास्टिक हमारे शरीर में पहुंच कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहा है। पुरुष प्रजनन क्षमता पर इसका सबसे विपरीत प्रभाव पड़ा है।
झील प्रेमी तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों में प्लास्टिक कचरे की उपस्थिति से पेयजल की गुणवत्ता खराब हो रही है। जलीय जीवों के जीवन को भी इससे क्षति पहुंच रही है। इस पर नियंत्रण बहुत जरूरी हैं। पर्यावरणविद सत्य प्रकाश मेहरा ने कहा कि प्लास्टिक का संतुलित उपयोग व इसके उपयुक्त पर्यावरणीय निष्पादन से ही इस समस्या के निजात मिल सकती है। गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि प्लास्टिक के विकल्पों पर गहन शोध व अनुसंधान की जरूरत है।

वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली से प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता हैं। युवा पर्यावरण कार्यकर्ता गोपाल तथा शंभू शर्मा ने प्लास्टिक प्रदूषण के खतरे व समाधान पर व्यापक जनजागृति की आवश्यकता बताई। संवाद से पूर्व झील सतह व किनारों से प्लास्टिक कचरा हटाया गया।