नई दिल्ली, 08 अप्रैल। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने तीनों सेनाओं की क्षमताओं को एकीकृत करने की जरूरत पर जोर दिया है, जिससे हमारी युद्ध लड़ने की क्षमता और दक्षता भी बढ़ेगी। उन्होंने सोमवार को नई दिल्ली में सशस्त्र बलों के लिए एक संयुक्त संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए ‘चिंतन’ की शुरुआत की।
इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की ओर से तीनों सेनाओं के लिए आज नई दिल्ली में ‘परिवर्तन चिंतन’ सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका मकसद ‘चिंतन’ के जरिये नए और ताजा विचारों, पहलों और सुधारों से आपसी विचार-विमर्श करना था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने प्रत्येक सेवा की विशिष्टता का सम्मान करते हुए पारंपरिक अवधारणाओं के साथ नया दृष्टिकोण देने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण संयुक्त संरचनाओं में परिवर्तन की आधारशिला हैं, जिसे भारतीय सशस्त्र बल ‘भविष्य के लिए तैयार’ होने के इरादे से आगे बढ़ा रहे हैं। सम्मेलन में अंडमान और निकोबार कमान और सामरिक बल कमान के प्रमुखों, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के कमांडेंट, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, रक्षा प्रबंधन कॉलेज और सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ-साथ सशस्त्र बल विशेष संचालन के प्रमुखों ने भाग लिया। रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, रक्षा साइबर एजेंसी और रक्षा संचार एजेंसी के प्रमुख भी शामिल हुए।
विविध सेवा अनुभव वाले तीनों सेनाओं और मुख्यालय आईडीएस के अधिकारियों ने भी चर्चा में भाग लिया और उभरती और नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाते हुए आधुनिकीकरण, खरीद, प्रशिक्षण, अनुकूलन और सहयोग से संबंधित सुधारों की अगली पीढ़ी को शुरू करने की दिशा में विचारों का योगदान दिया। नागरिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय रणनीतिक मुद्दों पर इनपुट पर भी विचार-विमर्श किया गया। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू ने विश्वास व्यक्त किया कि इस तरह की बातचीत आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करेगी, क्योंकि संयुक्त परिचालन संरचनाएं भविष्य के लिए तैयार भारतीय सशस्त्र बलों में बदलने के लिए विकसित होंगी।