दशकों तक बुझ सकेगी उदयपुरवासियों की प्यास
झीलों की नगरी को मिलेगी सौगात
1 मार्च को प्रस्तावित है 1690 करोड़ की परियोजना का शिलान्यास
उदयपुर, 29 फरवरी। उदयपुर शहर की पेयजल आपूर्ति की मांग को देखते हुए राज्य सरकार की ओर स्वीकृत देवास परियोजना के तृतीय एवं चतुर्थ चरण से उदयपुर शहरवासियों की दशकों तक प्यास बुझाई जा सकेगी। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का शिलान्यास 01 मार्च को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एवं असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया करेंगे।
प्रदेश के जल संसाधन विभाग के मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में पेयजल एवं सिंचाई जल की पर्याप्त एवं निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है। ईआरसीपी और यमुना जल को लेकर हाल ही हुए एमओयू इसी का परिचायक हैं। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने उदयपुरवासियों की आगामी दशकों में पेयजल आपूर्ति मांग को मद्देनजर रखते हुए देवास परियोजना के तृतीय एवं चतुर्थ चरण को स्वीकृत किया है, जिसका शिलान्यास 01 मार्च को प्रस्तावित है।
देवास परियोजना पर अब तक एक नजर
मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि शहर की तत्कालीन पेयजल आपूर्ति मांग सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 1973-74 में देवास- प्रथम (गोराणा बांध) का निर्माण किया गया, जिसकी सकल क्षमता 120 एमसीएफटी है। वर्ष 2011 में उदयपुर शहर की पेयजल मांग अनुसार देवास द्वितीय परियोजना की परिकल्पना की गई। देवास द्वितीय परियोजना के अन्तर्गत ही 85 एमसीएफटी क्षमता का मादड़ी बांध बनाया गया। इससे निकलने वाली 1.21 किलोमीटर की सुरंग को आकोदडा की मुख्य सुरंग से जोड़ा गया। देवास द्वितीय के अंतर्गत 302 एमसीएफटी क्षमता का आकोदडा बांध का निर्माण किया गया। इससे 11.05 किलोमीटर लम्बी सुरंग का निर्माण कर बांध से उदयपुर शहर की पिछोला झील में 550 एमसीएफटी वार्षिक जल अपवर्तन की योजना बनाई गयी। उक्त परियोजना वर्ष 2015 मे पूर्ण कर ली गयी।
देवास परियोजन में अब आगे क्या होगा
जनस्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग के अनुसार वर्ष 2031 की उदयपुर शहर की जनसंख्या 875874 तक होना संभावित है, जिसके अनुसार कुल 2397 एमसीएफटी वार्षिक पेयजल मांग के विपरीत तद्नुसार 1738 एमसीएफटी वार्षिक पेयजल ही उपलब्ध है। जनसंख्या वृद्धि की गणनानुसार यह मांग वर्ष 2036 तक 2613 एमसीएफटी हो जाएगी। अतः भविष्य की पेयजल मांग की पूर्ति के लिए देवास तृतीय एवं चतुर्थ परियोजना तैयार की गई है। देवास तृतीय परियोजना के अन्तर्गत उदयपुर जिले के गोगुन्दा तहसील के नाथियाथाल गांव के निकट 703 एमसीएफटी क्षमता का देवास तृतीय बांध बनाया जाएगा। इससे 11.04 लम्बी सुरंग का निर्माण कर देवास द्वितीय (आकोदड़ा बांध) में जल अपवर्तन किया जाएगा। पूर्व निर्मित आकोदड़ा बांध एवं सुरंग से उदयपुर शहर की पिछोला झील में जल अपवर्तन होगा। देवास चतुर्थ परियोजना के अन्तर्गत गोगुन्दा तहसील के अम्बावा गांव के निकट 390 एमसीएफटी क्षमता का देवास चतुर्थ बांध का निर्माण कर इससे 4.3 किलोमीटर सुरंग का निर्माण कर, देवास तृतीय बांध से जोड़ दिया जाएगा। इससे जल देवास चतुर्थ बांध से देवास तृतीय बांध में अपतर्वन किया जा सकेगा एवं आवश्यकतानुसार देवास द्वितीय (आकोदड़ा बांध) एवं सुरंग के माध्यम से पिछोला झील में जल अपतर्वन किया जा सकेगा। देवास तृतीय एवं चतुर्थ में कुल 156.18 हैक्टर वन भूमि आ रही है। वहीं कुल 133.45 हैक्टर निजी भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित है।
44 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य
मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि देवास तृतीय एवं चतुर्थ परियोजना की अनुमानित लागत 1690.55 करोड़ है एवं 44 माह की समयावधि में पूर्ण करने का लक्ष्य है। इससे 1000 एमसीएफटी वार्षिक जल अपतर्वन उदयपुर शहर की झीलों में किया जा सकेगा। परियोजना की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग से जारी हो चुकी है। बांध निर्माण के कार्य का कार्यादेश 396.93 करोड़ रुपये का मैसर्स दिलीप बिल्डकोन लिमिटेड भोपाल को जारी किया गया तथा सर्वे का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। टनल निर्माण कार्य का 432.74 करोड़ रुपये का कार्यादेश मैसर्स मेघा इंजीनियरिंग लिमिटेड हैदराबाद को जारी किया गया तथा सर्वे का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है।