चमोली जिलाधिकारी को दिया मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
चमोली , 19 फरवरी। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समीति ने विधायक बद्रीनाथ के साथ चमोली जिलाधिकारी से मिलकर उन्हें मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि गत 20 जनवरी 2024 को सरकार द्वारा आपदा प्रबन्धन के सचिव के माध्यम से जोशीमठ के विस्थापन व पुनर्वास का जो प्रस्ताव जोशीमठ की जनता के समक्ष रखा गया था उसे जनता ने सर्व सम्मति से एक स्वर में अस्वीकार कर दिया है।
ज्ञापन में बताया गया है कि इस प्रस्ताव को लेकर जनता में आक्रोश है और भविष्य को लेकर तरह तरह की आशंकाएं व्याप्त हैं ।
ज्ञापन में कहा गया है कि जोशीमठ में निर्धारित किए गए अति संवेदनशील क्षेत्र कहीं से भी तर्कसंगत और वैज्ञानिक नहीं नजर आते। इनके निर्धारण की पद्धति एवं तर्कसंगतता का खुलासा किया जाए। जब तक यह नहीं किया जाता हम निर्धारण को अस्वीकार करते हैं।
ज्ञापन में मांग की गई है कि जोशीमठ नगर के लिए व्यापक विस्थापन एवम पुनर्वास नीति लाई जाए, जिसमें भारत सरकार की विस्थापन एवं पुनर्वास नीति 2007 को आधार बनाया जाए।
स्थानीय लोगों की सेना के कब्जे वाली भूमि लोगों के पुनर्वास हेतु उपयोग में लाई जाए। सेना को सीमा के अग्रिम मोर्चों पर विस्थापित करने हेतु केंद्र सरकार से सहमति ली जाए ।
प्रभावितों की भूमि का मूल्य, सरकार द्वारा गठित कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप शीघ्र निर्धारित किया जाए। आपदा के चलते जोशीमठ के लोगों को हुए नुकसान की भरपाई शीघ्र की जाए, जिस पर स्वयं मुख्यमंत्री ने सहमति दी थी।
ज्ञापन में मांग की गई है कि जोशीमठ के स्थीरीकरण का कार्य शीघ्र किया जाय और इस कार्य के लिए निगरानी कमेटी बनाई जाय, कमेटी में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाय ।
जोशीमठ से परम्परा, धार्मिक विश्वास, आस्था, रीति रिवाज, कृषि एवं व्यवसाय से जुड़े लोागों के जुड़ाव को अक्षुण्ण रखने हेतु जोशीमठ के दायरे में ही विस्थापन पुनर्वास किया जाय। इस संदर्भ में पूर्व में हुई वार्ता में प्रशासन एवं सरकार द्वारा मांगे जाने पर हमने जगहों स्थानों के सुझाव दिए हैं।
ज्ञापन में मांग की गई है कि होम स्टे को व्यवसायिक श्रेणी से हटाए जाने पर पूर्व में बनी सहमति पर अमल किया जाय । होटल एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के मुआवजा निर्धारण में लगाई स्लैब व्यवस्था को हटाया जाय।
राजीव आवास एवम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने भवनों का मुआवजा शीघ्र दिया जाय, साथ ही कच्चे भवनों टिन शेड आदि का मूल्य निर्धारण किया जाय। 8 अप्रैल 2023 को मुख्यमंत्री जी के साथ हुई वार्ता उपरांत बनी सहमति के बिंदुओं को अमल में लाया जाय। . संवेदनशील क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि एवम व्यवसायिक भूमि के मुआवजे पर स्थिति स्पष्ट की जाय ।
ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि जनता की भावनाओं के अनुरूप निर्णय नहीं लिए जाते तो जनता आंदोलनात्मक कार्यवाही को मजबूर होगी ।
ज्ञापन के बाद गोपेश्वर मुख्यालय पर प्रेसवार्ता भी की गई । जिसमें जिले के वरिष्ट पत्रकार बन्धु मौजूद रहे