काठमांडू, 16 फरवरी। नेपाल में अब तक के सबसे बडे़ जमीन घोटाला मामले में दो पूर्व सचिव सहित एक सौ से अधिक सरकारी कर्मचारियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है। सरकारी अधिकारियों के अलावा कई भू माफिया और बडे़ व्यापारियों को भी सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही अदालत ने बेची गई करीब 10 बीघा जमीन को पुन: सरकार के नाम करने का फैसला भी सुनाया है।

काठमांडू में प्रधानमंत्री के सरकारी आवास के आसपास की करीब 10 बीघा जमीन को पहले संस्था के नाम पर करते हुए उस जमीन की प्लॉटिंग कर अलग अलग व्यक्तियों को बेचने के आरोप में नेपाल सरकार के चार पूर्व सचिव सहित 131 सरकारी कर्मचारियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है। इसके अलावा इस मामले में कई भूमाफिया और बिचौलिए को भी दोषी पाया गया है। इनमें देश के सबसे बडे़ शॉपिंग मॉल चेन के मालिक भी हैं, जिन्हें दो साल तक की जेल की सजा और 80 लाख रुपये जुर्माना की सजा मुकर्रर की गई है।

सरकारी भ्रष्टाचार सम्बंधी जांच एजेंसी अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग की तरफ से काठमांडू की विशेष अदालत में दायर रिट पर फैसला सुनाते हुए इसमें शामिल सभी सरकारी कर्मचारियों को दोषी करार दिया गया। हालांकि अख्तियार की तरफ से दायर याचिका में दो पूर्व प्रधानमंत्री, एक पूर्व उपप्रधानमंत्री, तीन विभागीय मंत्रियों को भी आरोपित बनाया गया था। विशेष अदालत ने अपने फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ सजा सुनाने को क्षेत्राधिकार से बाहर की बात कही है।

विशेष अदालत के फैसले में इस जमीन घोटाला को नीतिगत भ्रष्टाचार बताते हुए इस जमीन को संस्था के नाम पर करने से लेकर व्यक्ति के नाम पर करने तक जितने भी सरकारी कर्मचारी भौतिक योजना मंत्रालय में कार्यरत थे, उन सबकी भूमिका पर उन्हें दोषी करार दिया गया है। सजा पाने वालों में अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग के पूर्व प्रमुख दीप बस्नेत भी शामिल हैं। वो अख्तियार का प्रमुख बनने से पहले भौतिक मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे। इसी तरह पूर्व सचिव छविराज पन्त को भी जेल की सजा सुनाई गई है।

विशेष अदालत के रजिस्ट्रार धन बहादुर कार्की ने पत्रकार सम्मेलन में बताया कि करीब 10 बीघा जमीन को पुन: सरकार के नाम पर करने का फैसला दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस जमीन घोटाला के मुख्य योजनाकार देश के सबसे बडे़ रिटेल चेन भाटभटेनी सुपर स्टोर के संचालक मीन बहादुर गुरूंग, भूमाफिया शोभाकान्त ढकाल तथा रामकुमार सुवेदी को मुख्य अभियुक्त करार दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अख्तियार द्वारा आरोपित बनाए गए पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उप प्रधानमंत्री, पूर्व मंत्रियों को बरी कर दिया गया है।

अदालत ने राजनीतिक नेताओं को यह कहते हुए बरी किया है कि सरकारी जमीन को संस्था के नाम पर और संस्था की जमीन को व्यक्तियों के नाम पर करने की फाइल को कैबिनेट में ले जाने के कारण ही पूर्व उपप्रधानमंत्री विजय कुमार गच्छेदार, पूर्व मंत्री द्वय चन्द्र देव जोशी तथा डम्बर बहादुर श्रेष्ठ को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कैबिनेट से ही निर्णय कर इसे संस्थागत भ्रष्टाचार करने की बात साबित होते हुए भी कैबिनेट की अध्यक्षता करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल तथा डा बाबूराम भट्टराई को अकेले ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। चूंकि इस निर्णय प्रक्रिया में सम्पूर्ण कैबिनेट का हस्ताक्षर हैं, इसलिए कैबिनेट के किसी नीतिगत निर्णय पर फैसला देने का अधिकार विशेष अदालत के पास नहीं है।