एक अनोखा कवि -सम्मलेन
ओंकार समाचार
कोलकाता, 30 जनवरी। महानगर की प्रसिद्ध संस्था ‘संस्कृति सौरभ’ की ओर से रविवार, 28 जनवरी की शाम, स्थानीय भारतीय भाषा परिषद् के सभागार में अनोखा कवि -सम्मलेन ‘एक शाम कविता के नाम’ से आयोजित किया गया। इस कवि -सम्मलेन में दिवंगत शाइरों और कवियों का आमंत्रित किया गया। संस्था के सदस्यों ने उनका प्रतिनिधत्व करते हुए उनकी कविताएँ उनके ही अंदाज़ में पढ़ीं।हिंदी से हरिवंश राय बच्चन,रामधारी सिंह दिनकर,अमृता प्रीतम और गोपालदास नीरज,उर्दू से फ़िराक़ गोरखपुरी,फैज़ अहमद फैज़,मज़ाज लखनवी और राजस्थानी से गजानन वर्मा का प्रतिनिधित्व क्रमश: राजेंद्र कानूनगो,महेंद्र डागा,सरिता बेंगाणी,विकास रूँगटा,प्रमोद शाह,दिनेश वडेरा,प्रदीप जीवराजका और विनीत रुइया ने किया।
अतिथि वक्तव्य में इस परिकल्पना को अद्भुत बताते हुए,राजकमल जौहरी ने साहिर लुधियानवी की दो नज़्में ‘तेरी आवाज़’ -रात सुनसान थी और ‘वो सुबह कभी तो आएगी’ बहुत असरदार ढंग से पढ़ीं। उन्होंने कहा कि बिना साहिर के अमृता प्रीतम की कविताएँ अधूरी रहेंगी। फ़िराक़ ने कुछ शेर,कुछ रुबाइयाँ और ग़ज़लें अपने ख़ास अंदाज़ में पेश करते हुए कहा -‘इक हल्का-जंज़ीर तो जंज़ीर नहीं/इक नुक़्ता -ए -तस्वीर तो तस्वीर नहीं/तक़दीर तो क़ौमों की हुआ करती है/एक शख़्स की किस्मत कोई तक़दीर नहीं’-उनके के-एक -एक शेर को श्रोताओं ने हाथों-हाथ लिया।
बच्चन ने इस पार प्रिये तुम हो मधु है /दिन जल्दी-जल्दी ढलता है /खोई गुजरिया कविताओं से लोगों का मन जीत लिया। राष्ट-कवि दिनकर ने अपनी ओजस्वी वाणी में ‘व्याल-विजय’ और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ पढ़कर सभागर को गुंजायमान कर दिया।
फैज़ ने एक ग़ज़ल और ‘शीशों का मसीहा कोई नहीं’ तथा ‘तुम अपनी करनी कर गुज़रो’ नज़्मों को अपने इंक़लाबी लहजे में पढ़ीं। मज़ाज ने अपने रोमांटिक मूड में एक ग़ज़ल और आवारा तथा ‘नौजवान ख़ातून से’ पढ़ीं।
अमृता प्रीतम अपने दिलकश अंदाज़ में -‘मेरा पता’/’मैं तुझे फिर मिलूँगी’/’एक मुलाक़ात’ /’साईं तू अपनी चिलम से थोड़ी आग दे दे’-पढ़कर श्रोताओं का मन जीत लिया।
नीरज ने अपनी प्रसिद्ध शैली में झूम -झूम कर -‘छुप-छुप अश्रु बहाने वालो’ और ‘हम हैं मस्त फ़क़ीर’ कुछ इस तरह पढ़ा कि पूरा सभागार झूम उठा।
गजानन वर्मा ने राजस्थानी गीत ‘बाजरै की रोटी पोवै,फोफलिया को साग जी’ और ‘सुण दिखणादी बादळी’ इतना असरदार पढ़ा कि श्रोता भाषा का भेद भूल गए। इस शानदार कवि -सम्मलेन का प्रारूप तैयार करते हुए इसका प्रभावशाली संचालन किया संस्था के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद शाह ने।
कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों का स्वागत सुभाष सोंथालिया और माधव सुरेका ने किया। स्वागत वक्तव्य अध्यक्ष राममोहन लखोटिया ने दिया। कार्यकारिणी सदस्य महेश चंद्र शाह और राजेंद्र खंडेलवाल व्यवस्था को सुचारू रूप दे रहे थे। संस्था के संरक्षक महावीर प्रसाद मनकसिया के अतिरिक्त माधवी अग्रवाल,अजयेन्द्र त्रिपाठी,कमलेश मिश्र सहित महानगर के अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।