कोलकाता, 28 जनवरी। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के सिंदरी गांव के रहने वाले दुखु माझी को पद्म श्री सम्मान देने की घोषणा की है। वृक्षारोपण के अपने जुनून की वजह से पद्मश्री पाने वाले बंगाल के दुखु मांझी आज हर किसी के लिए प्रेरणा हैं। हालांकि दुखु मांझी को पौधे लगाने की प्रेरणा एक अजनबी से मिली थी। ‘साहेब’ की तरह दिखने वाले उस अनजान व्यक्ति ने दुखु मांझी को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया था।

किसान परिवार में जन्में दुखु मांझी का जीवन बेहद गरीबी में गुजरा। थोड़ी बहुत खेती से किसी तरह परिवार चलता था। ऐसे में मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पालने के बजाये पौधे लगाना लगाना उनके लिए किसी विलासिता से कम नहीं था। ऐसे में एक दिन ‘साहेब’ की तरह दिखने वाले एक व्यक्ति उनके गांव में आए। उन साहेब ने ही उन्हें बताया कि क्यों पौधे लगाना जरूरी है। पेड़ नहीं लगाया तो फिर मानवता नहीं बचेगी। यह बात वह किसी तरह दुखु मांझी को समझाने में कामयाब रहे। दुखू मांझी ने भी साहेब की उन बातों को वेद वाक्य मान कर वृक्षारोपण को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया।

पुरुलिया जिले के सिंदरी गांव के निवासी दुखु मांझी का संकल्प है कि जीवन के अंतिम सांस तक पौधे लगाते रहेंगे। पद्मश्री मिलने के बाद सिंदरी गांव दुखु मांझी को लेकर गौरवान्वित है। जो लोग कल तक उनकी आलोचना करते थे या ‘गाछपागल’ कह कर उनका मजाक उड़ाया करते थे, वही आज उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे। दूसरी तरफ पद्मश्री मिलने से खुद दुखु मांझी का संकल्प और अधिक मजबूत हो गया है।