राम-शरद कोठारी के बलिदान को आज भी नहीं भूले हैं

अयोध्या, 21 जनवरी। भाजपा के पूर्व राज्सभा सांसद एवं पांचजन्य के पूर्व संपादक तरूण विजय ने कहा कि अयोध्या की उन गलियों से गुजरते हुए जहां इन आंखों ने नब्बे-बयानबे में हिंदू नेताओं की हिंदू पुलिस द्वारा रक्तरंजित कारसेवक संहार देखा था आज भी सिहरन होती है, आंखें विस्फारित होकर राम-शरद कोठारी के चित्र देखती हैं उनके अधरों से निकले जय सिया राम के स्वर सुनायी देते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत जागृत हो गया है। अब स्मृति-जागृत भारत अपने मन और काया पर आघात नहीं सहेगा। कहा कि राम मंदिर विरोध करने वाले शक्तियां क्षमा मांगे और पाश्चाताप करें।

उन्होंने मीडिया एजेंसी से बातचीत में कहा कि इस जन्मभूमि को लेने में हिंदुओं को पाँच सौ साल क्यों लगे? क्योंकि हिंदू के मानस में राष्ट्र तथा धर्म का समन्वय नहीं था। शिवाजी के विरूद्ध औरंगज़ेब के लिये शिव भक्त मिर्जा राजा जय सिंह लड़े, शिवाजी के तेरह सगे संबंधी उनके विरुद्ध मुगल सेना में थे। गत सौ वर्षों में पहली बार विवेकानंद तथा डॉ हेडगेवार ने देश के साथ धर्म का चैतन्य जागृत किया तो राम मंदिर बना। अब काशी और मथुरा सहित अन्य भग्न काराबद्ध आक्रांत मंदिर वापस लिए बिना, हिन्दू रुकेगा नहीं।

अयोध्या का हर कण हर कोना सज गया है। रातों-रात सड़कें नयी बन गयीं, दुकानें चौड़ीं हो गयीं, दस-दस फीट पीछे कर दीं, आश्रम मठ नये कलेवर में सज्ज गए, नये निर्माण से अलंकृत हो गये, अयोध्या महाराज का महल अयोध्याकालीन महल लगने लगा, राम जन्मभूमि पथ स्वर्गानुकूल भव्यता ले रहा है। हजारों स्त्री पुरुष गोद में बच्चे हाथों में कपड़ों कंबल के थैले लिये चले आ रहे हैं। राम लला से मिलने आयें हैं राम लला व्यवस्था करेंगे।

अब स्मृति -जागृत भारत अपने मन और काया पर आघात नहीं सहेगा

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हिंदू तथा मुस्लिम दोनों ने राम जन्मभूमि का सत्य जानते हुये भी अंधा अपशब्दयुक्त विरोध किया, उनको हिंदुओं से हाथ जोड़कर क्षमा याचना करनी चाहिए। उन्होंने अपने ही रक्त से अपने पूर्वजों, अपने देश, अपने देवताओं व अपनी संस्कृति के प्रवाह से विश्वासघात किया। अब स्मृति -जागृत भारत अपने मन और काया पर आघात नहीं सहेगा।