उदयपुर, 17 जनवरी। उदयपुर के देहलीगेट चौराहे पर बरसों बाद अतिक्रमण हटाने की ऐतिहासिक कार्रवाई के दूसरे दिन वहां खुले में आए गणेश मंदिर का शुद्धीकरण किया गया और भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। नगर निगम महापौर और उपमहापौर द्वारा पूजा के दौरान गणपति बप्पा के जयकारे गूंजे।

दरअसल, देहलीगेट पर अतिक्रमण के कारण यह गणेश मंदिर और समीप ही भगवान नृसिंह का मंदिर ढंक चुके थे। अतिक्रमण हटाने के साथ ही यह सड़क के छोर पर आ गए और अब दर्शन आसान हो गए। मंगलवार देर रात तक मौके पर सड़क निर्माण के बाद बुधवार सुबह नगर निगम महापौर गोविंद सिंह टांक एवं उप महापौर पारस सिंघवी ने गणपति मंदिर का शुद्धीकरण किया और उसके बाद विधिवत पूजा अर्चना कर शहरवासियों के लिए खुशहाली की कामना की।

नगर निगम उपमहापौर एवं स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष पारस सिंघवी ने बताया कि मंगलवार को देहली गेट पर निगम द्वारा की गई ऐतिहासिक कार्रवाई के बाद कई मंदिर दर्शनार्थ प्रकट हुए। इसी में मुख्य मार्ग पर भगवान गणेश का मंदिर स्थित है। बुधवार को पुजारी द्वारा पूरे विधि विधान से गणपति बप्पा को मालीपन्ना और सिंदूर से नई आंगी धराई गई। महापौर गोविंद सिंह टांक ने प्रथम पूज्य गणपति की पूजा अर्चना कर आरती की। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। महापौर ने सभी दर्शनार्थियों को प्रसाद के रूप में लड्डू भी बांटे।

पूजा अर्चना के पश्चात महापौर ने बताया कि बाल्यकाल में जब वह अपने पिताजी के साथ राजसमंद से आते थे तब बस द्वारा इसी स्थान पर उतरकर यहां गणपति बप्पा को धोक लगाकर ही अपने घर की तरफ प्रस्थान करते थे, लेकिन आसपास किए गए अतिक्रमण के कारण गणपति बप्पा को छिपा दिया गया था, जो नगर निगम द्वारा की गई कार्रवाई में फिर से प्रकट हुए हैं।

उप महापौर सिंघवी ने कहा कि नगर निगम का उद्देश्य शहर वासी या व्यापारियों को परेशान करने का नहीं है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा किए गए स्थाई या अस्थाई अतिक्रमण के कारण हजारों पैदल चलने वाले शहरवासियों, वाहन चालकों के साथ-साथ उदयपुर शहर में आने वाले पर्यटकों को बहुत समस्या हो रही है, इस कारण नगर निगम ऐसी कार्रवाई कर रही है।

इस बीच, लोगों ने गणेश मंदिर के साथ लगे भगवान नृसिंह के मंदिर के पट भी शीघ्र खोले जाने की उम्मीद व्यक्त की है। बुधवार को कई लोग भगवान नृसिंह के मंदिर में भी वहां की प्रतिमा के दर्शन की लालसा के साथ पहुंचे, लेकिन उस मंदिर के पट बंद होने से दर्शन नहीं हो सके।