कोलकाता, 8 मई । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल और झारखंड में जीएसटी इनवॉइस घोटाले की जांच के तहत एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की। रांची, जमशेदपुर और कोलकाता में कुल नौ जगहों पर हुई इस कार्रवाई में फर्जी बिलों के जरिए 800 करोड़ रुपये से अधिक के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ है।

ईडी को शक है कि आरोपित शिवकुमार देवड़ा, सुमित गुप्ता और अमित गुप्ता ने मिलकर करीब 14 हजार 325 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस जारी किए और उसका फायदा उठाकर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। सुमित और अमित गुप्ता के दफ्तर कोलकाता में मौजूद हैं, जहां तलाशी अभियान चलाया गया है।

इस घोटाले से संबंधित जमशेदपुर के जुगसलाई निवासी व्यवसायी विक्की भालोटिया के घर पर भी ईडी की दबिश पड़ी। इससे पहले इसी प्रकरण में बबलू जायसवाल का नाम भी सामने आ चुका है, जो पहले से ईडी के निशाने पर हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी एक संगठित रैकेट का हिस्सा थे जो सैकड़ों फर्जी कंपनियों के नाम पर कागजी लेन-देन कर रहे थे।

पैसे को रियल एस्टेट और शैल कंपनियों में लगाया गयाईडी के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि घोटाले से कमाई गई भारी रकम को रियल एस्टेट, नकद लेनदेन, शैल कंपनियों और विदेशी खातों में लगाया गया है। कई संपत्तियां भी चिन्हित की गई हैं जिन्हें मामूली मूल्य पर दिखाया गया है, जबकि उनकी वास्तविक कीमत करोड़ों में है। ईडी अब इन संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया में है।

इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के तहत व्यापारी अपने खरीदे गए सामान या सेवाओं पर चुकाए टैक्स को आगे बिक्री पर चुकाए टैक्स से समायोजित कर सकते हैं। लेकिन इस मामले में आरोपितों ने ऐसा दिखाया जैसे उन्होंने भारी मात्रा में सामान खरीदा और टैक्स चुकाया, जबकि कोई वास्तविक लेनदेन हुआ ही नहीं। इस तरह फर्जी बिलों के जरिए टैक्स रिफंड का दावा किया गया।

ईडी ने छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में दस्तावेज, डिजिटल डेटा और बैंक विवरण जब्त किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले में कई अन्य कारोबारी और बिचौलियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

—-