पलामू, 18 अगस्त । जिले के तरहसी प्रखंड क्षेत्र के उदयपुरा स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की 40 छात्राएं सोमवार को बीमार पड़ गयीं। इनमें से सात छात्राओं की गंभीर स्थिति को देखते हुए एमएमसीएच मेदिनीनगर में भर्ती कराया गया है। अन्य का इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तरहसी में चल रहा है। सबने पेट दर्द की शिकायत की है। रविवार रात के समय छात्राओं ने पूड़ी-सब्जी का सेवन किया था।

सोमवार की सुबह  सोयाबीन और आलू की सब्जी एवं रोटी खायी थी। घटना की जानकारी मिलने पर बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल पहुंचे और हंगामा किया।

जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह सभी छात्राओं को नाश्ते में सोयाबीन और आलू की सब्जी एवं रोटी दी गई थी। खाना खाने के बाद एक एक करके सभी छात्राएं बीमार पड़ गयीं। कुछ छात्राओं ने बताया कि स्कूल में फिनाइल गिर गया था। जबकि कुछ छात्राओं ने बताया कि सोयाबीन और आलू की सब्जी और रोटी खाते ही उनके पेट में तेज दर्द हुआ।

घटना की जानकारी मिलने पर वार्डन आरती कुमारी ने खाद्य सामग्री सप्लाई देने वाली एजेंसी एमएस निशा ट्रेडर्स के माध्यम से बीमार छात्राओं को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भिजवाया। यहां जरूरी दवा छात्राओं की दी गयी। सलाइन भी चढाया गया। हालांकि इसी बीच गंभीर रूप से बीमार पड़ी सात छात्राओं को एमएमसीएच रेफर कर दिया गया।

वार्डन ने दोपहर एक बजे बताया कि जन्माष्टमी को लेकर शनिवार को छात्राएं उपवास पर थीं। रविवार रात  उन्हें पूड़ी-सब्जी दी गई थी।सुबह में सोयाबीन और आलू की सब्जी एवं रोटी दी गई थी। उपवास पर रहने के कारण गैस से पेट दर्द करने लगा होगा। सभी का इलाज करवाया जा रहा है, जो भी छात्रा ज्यादा बीमार हैं, उन्हें मेदिनीनगर ले जाकर बेहतर इलाज कराया जायेगा। सात छात्राओं को एमएमसीएच भेजा गया है।

इन्हें किया गया रेफर

गंभीर रूप से बीमार पड़ी छात्राएं, जिन्हें रेफर किया गया उनमें मुन्नी कुमार (16), संजना कुमारी (15), चांदनी कुमारी (15), आइशा परवीण (16), साक्षी कुमारी (15), कांति कुमारी (14) और किरण कुमारी (15)शामिल हैं। एमएमसीएच में डाॅ आरके रंजन के नेतृत्व में सभी का इलाज किया जा रहा है।

वहीं मामले में अनिल सिंह, बजरंगी मेहता, संध्या देवी पूर्व उप मुखिया शिवपाल सिंह सहित कई स्‍थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि वार्डन अपना बचाव के लिए उपवास का बहाना बना रही है। जन्माष्टमी का पर्व शनिवार को था और उसी दिन उपवास भी था, जबकि पारण रविवार को था और घटना सोमवार की है तो उपवास करने के मामला बीच में कहां से आता है।

अस्पताल में कार्यरत और इलाज में सहयोग कर रहे फार्मासिस्ट राजेंद्र कुमार सहित कई कर्मियों ने विद्यालय की वार्डन पर आरोप लगाया है कि लगभग चार दर्जन बीमार बच्चियां इलाज कराने के लिए आई थीं और सभी को इलाज करा कर चुपके से भगा दिया गया, ताकि उनका नाम पता रजिस्टर में दर्ज नहीं हो सके, जो गंभीर मामला है। बीमार बच्चियों ने भी आरोप लगाया है कि मेरे घर के परिजनों को भी इसकी सूचना नहीं दी जा रही है। इलाज के दरमियान किसी बीमार बच्ची के परिजन उपस्थित नहीं थे।